बिहार विधानसभा चुनाव के लिए प्रदेश में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) और महागठबंधन के खिलाफ एक नया गठबंधन बना है, जिसका नाम है ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेक्यूलर फ्रंट। इस गठबंधन में असदुद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम), उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा), मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी), पूर्व केंद्रीय मंत्री देवेंद्र प्रसाद यादव के समाजवादी जनता दल डेमोक्रेटिक, डॉ. संजय चौहान की जनवादी पार्टी (सोशलिस्ट) और ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी शामिल हैं। रालोसपा अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा को इस गठबंधन का मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित किया गया है।
गुरुवार को इन सभी दलों ने पटना में एक साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस किया। जिसके बाद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि पिछले पांच सालों से हमारी पार्टी बिहार में मेहनत कर रही है। मुझे उम्मीद है कि इस चुनाव में हमें मेहनत का फल जरूर मिलेगा। हमारी पार्टी उपेंद्र कुशवाहा द्वारा बनाए गए 6 पार्टियों के गठबंधन में से एक है और हम 19 सीटों पर बिहार में चुनाव लड़ेंगे।
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क्या ओवैसी वोट कटवा बनकर रह जाएंगे? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हमारे विरोधी ऐसे बोलते रहते हैं मगर मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। अगर विपक्षी दल नहीं बोलेंगे तो मुझे तकलीफ होगी। बीजेपी के अंदर अहंकार है और उनको ऐसा लगता है कि अल्पसंख्यक वोटर इनके गुलाम हैं। मेरे विरोधी मेरे खिलाफ जितनी जोर से बोलेंगे, हम लोग उतनी ज्यादा ताकत से काम करेंगे।
वहीं हाथरस की घटना को लेकर ओवैसी ने कहा कि एक वेबसाइट के आधार पर इस घटना में साजिश की बात कही जा रही है। जहां भी सरकार से गलती होती है, वो वहां पर साजिश का एंगल ले आती है। उत्तर प्रदेश सरकार अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए इस तरह की साजिश की बात कर रही है।
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क्या हाथरस गैंगरेप कांड का बिहार चुनाव पर असर पड़ सकता है। इसके जवाब में एआईएमआईएम प्रमुख ने कहा कि मोबाइल फोन की वजह से दुनिया बहुत छोटी हो चुकी है। लोग सब चीज देखते हैं। कोई बात छुपने वाली नहीं है, मगर मेरा मानना है कि बिहार में सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा नीतीश कुमार के 15 साल का कुशासन है। बिहार चुनाव में हर मसले की गूंज सुनने को मिलेगी।
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि हमें खुशी है कि हम बिहार के लोगों को विकल्प दे पाए हैं और हमारे साथ नई पार्टियां आई हैं। नीतीश सरकार के राज में 15 साल बिहार की जनता से धोखा किया गया है, ऐसे में अब नए विकल्प की जरूरत है।