जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश के खिलाफ अवैध संपत्ति, स्टांप ड्यूटी चोरी करने के आरोप लगाते हुए भाजपा सांसद वीरेंद्र सिंह ने केंद्र सरकार के नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग से जांच कराने की मांग की थी।
डीओपीटी से जांच कराए जाने के पत्र आने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आईएएस अधिकारी अभिषेक प्रकाश के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं। वहीं नियुक्ति विभाग के अधिकारी अभी इस मामले में लीपापोती करने में जुटे हुए हैं।
बलिया से भाजपा सांसद वीरेंद्र सिंह ने IAS अभिषेक प्रकाश के ख़िलाफ़ साक्ष्यों सहित शिकायत भारत सरकार के डीओपीटी में की थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि IAS अभिषेक प्रकाश ने जिलाधिकारी लखीमपुर खीरी रहते हुए लगभग 300 बीघे ज़मीन की ख़रीदारी की थी। यह जमीन आईएएस ने अपने परिवार जन (माता,पिता व भाई के अलावा कुछ अन्य व्यक्तियों सहित फ़र्ज़ी कम्पनियां बनाकर) के नाम की थी।
इसके अलावा बरेली में जिलाधिकारी रहने के दौरान भी आईएएस अभिषेक प्रकाश ने करीब 400 बीघे ज़मीन ख़रीदी थी। यह ज़मीन बरेली शाहजहांपुर हाइवे पर बेशकीमती बताई जा रही है। इसके अलावा यह आरोप भी लगे थे कि इन दोनों ज़मीनों की ख़रीद में इनके द्वारा अपने डीएम होने का लाभ उठाते हुए स्टाम्प ड्यूटी की भी भारी मात्रा में चोरी की गयी है, जिसके बाद अब जांच कराने के आदेश दिए गए हैं।
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DOPT ने उत्तर प्रदेश सरकार को इस पूरे प्रकरण की जांच के लिए पत्र लिखा था। भारत सरकार से पत्र आने के बाद काफी दिनों तक यूपी के नियुक्ति विभाग ने इस पूरे मामले में खेल करते हुए पत्र को दबाए रखा। उसके बाद जब नियुक्ति विभाग की नींद टूटी तो वर्तमान डीएम लखीमपुर खीरी और बरेली से आख्या मांगी गई, जिसमें लखीमपुर खीरी डीएम ने अभिषेक प्रकाश के प्रभाव में आ कर मामले का गोलमोल जवाब शासन को भेज दिया, जबकि बरेली डीएम ने शासन को पत्र लिखते हुए कहा कि मामला अति गम्भीर है, जो स्टाम्प चोरी के साथ साथ राजस्व से भी जुड़ा हुआ है। आरोपी विशेष सचिव स्तर का है अतः पूरे मामले की जांच दो प्रस्तर ऊपर के अधिकारी अर्थात् अपर मुख्य सचिव रैंक से कराने हेतु अनुरोध किया।
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इसके बाद इस पूरे मामले में नियुक्ति विभाग द्वारा एसीएस राजस्व रेणुका कुमार से जांच कराने के लिए अनुमोदन के लिए फ़ाइल मुख्यमंत्री कार्यालय भेजी गयी थी, जिसे मुख्यमंत्री ने स्वीकृत कर दिया। लेकिन वहां से फ़ाइल लौटने के बाद अभी भी ठंडे बस्ते में पड़ी है। अब तक नियुक्ति विभाग इस प्रकरण में कोई भी आदेश जारी नहीं कर पाया है, जिसकी चर्चा तेज है। सीएम योगी के निर्देश और जीरो टॉलरेंस नीति के बावजूद नियुक्ति विभाग लीपापोती में लगा हुआ है।
नियुक्ति विभाग के अपर मुख्य सचिव मुकुल सिंघल ने ईटीवी भारत को फोन पर सीएम द्वारा जांच के आदेश दिए जाने की जानकारी से इंकार किया है। उन्होंने कहा कि उन्हें इस बारे में अभी कोई जानकारी नहीं है, जबकि विभागीय सूत्रों ने इसकी पुष्टि की है।
इसके अलावा जांच को लेकर पत्रावली अपर मुख्य सचिव नियुक्ति मुकुल सिंघल द्वारा दबाये जाने की बात भी चर्चा में है। वहीं चर्चा यह भी है कि अपर मुख्य सचिव नियुक्ति मुकुल सिंह द्वारा न सिर्फ इस पूरे मामले की पत्रावली दबाई गई, बल्कि जिलाधिकारी लखनऊ के साथ अभिषेक प्रकाश को उपाध्यक्ष लखनऊ विकास प्राधिकरण का विचार चार्ज दे दिया गया, जिसको लेकर तमाम तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं कि जब इस प्रकार गंभीर आरोप लगे हैं तो उन्हें एक और महत्वपूर्ण पद क्यों दिया गया