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निश्चित हार के डर से इलेक्शन-नैरेटिव न बदले भाजपा : चंद्रशेखर उपाध्याय

Chandrashekhar Upadhyay

Chandrashekhar Upadhyay

देहरादून। भाजपा की पूर्ववर्ती भारतीय-जनसंघ के स्थापना-पुरुष पण्डित दीनदयाल उपाध्याय के प्रपौत्र  एवम् न्यायिक क्षेत्र के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार ‘ न्याय-मित्र ‘ से पुरस्कृत  प्रख्यात न्यायविद् चन्द्रशेखर पण्डित भुवनेश्वर दयाल उपाध्याय (Chandrashekhar Upadhyay) ने भाजपा के बड़बोले नेताओं को कड़ी चेतावनी दी है, एक बयान जारी करते हुए उन्होंने कहा है कि कि 24 घण्टे के भीतर भाजपा अपने अध्ययनहीन नेताओं पर लगाम लगाये, हरीश रावत (Harish Rawat) पर लगातार कर रहे निजी-हमले करने से उन्हें रोके वरना वह देहरादून में एक प्रेस-कान्फ्रेंस कर भाजपा के मुख्यमंत्रियों के भ्रष्टाचारों के अभिलेखीय-साक्ष्य सार्वजनिक कर देंगे ।

उत्तराखण्ड के लगभग भाजपा नेताओं के भ्रष्टाचार को प्रत्यक्ष देखा

उन्होंने कहा कि सिर्फ मुख्यमंत्रियों ही नहीं बल्कि भाजपा के कई राष्ट्रीय नेताओं तथा उत्तराखण्ड के लगभग भाजपा नेताओं के भ्रष्टाचार को उन्होंने प्रत्यक्ष देखा है और उनके समस्त प्रमाण उनके पास है । उन्होंने कहा कि उन अभिलेखीय-साक्ष्यों की सत्यता के लिए वह सभी भाजपाईयों का लाई-डिटेक्टर व नारको-टेस्ट कराने की मांग की सक्षम प्राधिकरण से करेंगे ।

उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों को न्याय दिलाना मेरी प्राथमिकताओं में : चंद्रशेखर उपाध्याय

बताते चलें सम्प्रति हरीश रावत के मुख्य प्रमुख सलाहकार श्री उपाध्याय, राज्य के एडीशनल एडवोकेट जनरल रह चुके हैं, उत्तर-प्रदेश में सेशन-कोर्ट में न्यायाधीश रहे चन्द्रशेखर को कांग्रेसी मुख्यमंत्री पण्डित नारायण दत्त तिवारी ने 2004 में उन्हें उपरोक्त पद पर नियुक्त किया था, बाद में श्री उपाध्याय खण्डूड़ी एवम् निशंक के ओएसडी (न्यायिक, विधायी एवम् संसदीय-कार्य) रहे ।

जनसंघ के संस्थापक दीनदयाल जी के प्रपौत्र चन्द्रशेखर उपाध्याय से मिले संघ दिग्गज !

भ्रष्टाचार के मामलों में अदालतों में घिरे निशंक से उन्होंने ही सभी मामलों में  ROLE-BACK कराकर तब भाजपा के बड़े भ्रष्टाचार से राज्य को बचाया था । उन्होंने ही अपनी न्यायिक-सूझबूझ से उस समय की भाजपा सरकार को बचाया था ।

उत्तराखण्ड विधि-आयोग में प्रमुख-सचिव विधायी के समकक्ष सदस्य पद कार्य कर चुके श्री उपाध्याय को श्री रावत ने अपना मुख्य प्रमुख सलाहकार नियुक्त करते हुए उन्हें रामपुर तिराहा मामले में बलिदानियों एवम् आन्दोलनकारियों को पूर्ण न्याय दिलाने का कार्य सौंपा है, उल्लेखनीय है कि श्री उपाध्याय ने 2005 में इलाहाबाद हाईकोर्ट से रामपुर तिराहा मामले की पुनर्निरीक्षण-याचिका स्वीकार कराकर राज्य-आन्दोलनकारियों को एक बड़ी राहत दिलवायी थी जबकि मुजफ्फरनगर की निचली अदालत ने मामले को खारिज कर दिया था ।

2017 के घोषणा-पत्र पर सार्वजनिक-बहस करें मुझसे, उसका हिस्सा था मैं

श्री उपाध्याय ने अपने बयान में भाजपा को अपने 2017 के घोषणापत्र पर सार्वजनिक-बहस की भी चुनौती दी है, उन्होंने कहा है कि अपने पुराने-मित्र जे. पी. नडडा के आग्रह पर उन्होंने उस घोषणा-पत्र पर काफी कार्य किया जिसे भाजपा के तीनों मुख्यमंत्रियों ने विस्मृत कर दिया उन्होंने कहा कि भाजपा के मामूली नेता अपना अध्ययन बढ़ायें एवम् कांग्रेस के घोषणापत्र का भी अध्ययन करें ।

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