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आजम-अखिलेश का टूटा तिलिस्म, रामपुर-आजमगढ़ में खिला कमल

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BJP victory in Rampur-Azamgarh

लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने लोकसभा के उपचुनाव में बड़ी जीत दर्ज की है। आजमगढ़ से दिनेश लाल यादव और रामपुर से घनश्याम लोधी सांसद चुन लिए गए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi), प्रदेश भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, ब्रजेश पाठक समेत पार्टी के अन्य नेताओं ने जीत पर खुशी जाहिर की है। इसका श्रेय कार्यकर्ताओं और जनता को दिया है।

2019 में लोकसभा के आम चुनाव में आजमगढ़ (Azamgarh) से सपा मुखिया अखिलेश यादव और रामपुर संसदीय क्षेत्र से सपा के कद्दावर नेता आजम खान 9Azam Khan) को जीत मिली थी। सपा के खाते से अब यह दोनों सीटें निकल गयी हैं। सियासी गलियारे में सपा की हार और भाजपा की जीत के कारणों पर चर्चा शुरू हो गयी है।

दरअसल सपा के मुखिया अखिलेश यादव को पूरा भरोसा था कि आजमगढ़ में मुसलमान और यादव फैक्टर से वह चुनाव जीत जाएंगे। वह चुनाव प्रचार में कड़ी मेहनत करते नहीं दिखाई दिए। रामपुर की सीट तो स्थायी रूप से सपा की मानी जा रही थी।

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दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवारों से लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेता चुनाव प्रचार के लिए मैदान में डटे रहे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं चुनाव प्रचार करने गए। चुनावी सभाएं की। जनता को भाजपा की डबल इंजन की सरकार से होने वाले विकास का संदेश दिया। संदेश देने में भी वह सफल रहे।

सांसद बनने के बाद आजमगढ़ नहीं गए थे अखिलेश

2019 के लोकसभा चुनाव में सपा से अखिलेश यादव और भाजपा से भोजपुरी स्टार दिनेश लाल यादव निरहुआ उम्मीदवार थे। अखिलेश सांसद बने। सांसद बनने के बाद आजमगढ़ की जनता के बीच वह अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराने में असफल रहे।

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दूसरी ओर निरहुआ आजमगढ़ आते रहे। भाजपा प्रत्याशी ने चुनाव के दौरान इन मुद्दों को उठाया भी। जिस यादव और मुसलमान के बल पर सपा अपनी जीत पक्की मान रही थी, वह इस चुनाव में बिखर गया और आजमगढ़ में कमल खिल गया।

यह रहा आजमगढ़ लोकसभा सीट का सियासी इतिहास

1952 से 1971 तक लगातार चार लोकसभा चुनाव कांग्रेस के अलगू राय शास्त्री, कालिका सिंह, राम हरष यादव और चंद्रजीत यादव ने जीत दर्ज की। 1977 के लोकसभा चुनाव में पहली बार कांग्रेस से इतर जनता पार्टी के राम नरेश यादव ने जीत दर्ज की। इसके बाद 1978 में हुए लोकसभा चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस की मोहसिना किदवई ने बाजी मारी। 1980 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर जनता पार्टी (सेक्युलर) के उम्मीदवार चंद्रजीत यादव ने जीत दर्ज की। वहीं 1984 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के संतोष सिंह को जीत मिली। 1989 में पहली बार इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी(बसपा) के राम कृष्ण यादव चुनाव जीते।

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जनता दल के टिकट पर चंद्रजीत यादव 1991 में एक बार फिर जीत दर्ज करके लोकसभा पहुंचे। 1996 के लोकसभा चुनाव में सपा से रमाकांत यादव लोकसभा पहुंचे। वहीं 1998 के लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार अकबर अहमद डंपी को जीत मिली। 1999 और 2004 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के रमाकांत यादव जीते। 2008 के लोकसभा चुनाव में अकबर अहमद डंपी जीते तो 2009 के में रमाकांत यादव भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े और उन्हें जीत मिली। 2014 में मुलायम सिंह यादव और 2019 में अखिलेश यादव को जीत मिली। 2022 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव विधायक चुने जाने के बाद सांसदी से इस्तीफा दिया और अब इस पर हुए उप चुनाव में समाजवादी पार्टी को करारी शिकस्त मिली है।

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