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कल्याण सिंह के शंखनाद के बिना यहां शुरू नहीं होता था भाजपा का चुनाव प्रचार

kalyan singh

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इटावा। भारतीय राजनीति में हिंदुत्व के सबसे बड़े चेहरे माने जाने वाले उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह (Kalyan Singh) आज दुनिया में नहीं है मगर एक जमाना वो भी था जब कल्याण सिंह (Kalyan Sinagh) के शंखनाद के बगैर इटावा (Etawah) के लोधी बाहुल्य सूखाताल गांव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) का चुनाव प्रचार (election campaign) शुरू नहीं होता था।

राम जन्मभूमि आंदोलन के मुख्य अगुवा कल्याण सिंह (Kalyan Singh) की चुनावी प्रचार शैली को लेकर के इलाके में आज भी किस्से सुनाये जाते हैं। समाजवादी गढ़ के तौर पर पहचान बनाने वाले इटावा में कल्याण सिंह की जड़ें काफी मजबूत रही है। यहां उनके चाहने वालों की कोई कमी नहीं है। इकदिल क्षेत्र के सूखाताल गांव से कल्याण को बेहद लगाव रहा है। भाजपा का चुनाव प्रचार तब तक यहां पूरा नहीं माना जाता था जब तक सूखाताल गांव में कल्याण सिंह की सभा ना हो जाये।

भाजपा लोधी बिरादरी का वोट हासिल करने के लिए कल्याण की सभा को सूखाताल में हर हाल में आयोजित करवाती रही है। पार्टी को इसका खासा फायदा भी मिला है ।

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दिलचस्प है कि कल्याण ने 1999 में भाजपा की सदस्यता से इस्तीफा देकर के राष्ट्रीय जनक्रांति पार्टी का गठन किया था तो उसके बाद इस इलाके के लोधी बिरादरी के अधिकाधिक मतदाताओं ने भाजपा छोड़ कर सपा की ओर रुख कर लिया था। कल्याण सिंह की वजह से उस समय स्वामी साक्षी महाराज भी लोधी बाहुल्य इलाके में कल्याण सिंह के समर्थन में लोगो को मनाने के लिए सभाओं का आयोजन कराने के लिए जी जान से जुट गए थे।

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भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष शिव प्रताप राजपूत कल्याण सिंह से अपनी नजदीकियों को साझा करते हुए बताया कि सूखाताल के जिस खेत मे बाबू जी यानी कल्याण सिंह की सभा आयोजित हुआ करती रही है वो 15 बीघा का खेत भी उनका ही है । करीब पंद्रह हजारी भीड एकजुट करने की क्षमता वाले इस मैदान मे लोधियो के 84 गावो के लिए लोग कल्याण सिंह को सुनने के लिए दौडे चले आते थे । चुनाव के बाद जब नतीजा सामने आता है तो फिर भाजपा को इस फायदा जीत के तौर पर मिलता है ।

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राजपूत ने कहा “ बाबू जी की ऐसी शख्सियत रही है कि वह इटावा के लोधी बाहुल्य इलाकों के एक एक शख्स को नाम के साथ पुकारने की काबिलियत रखते थे और इसी का नतीजा यह था कि जब भी उनकी सभा सूखाताल गांव में हुआ करती थी तो वह मंच से नाम ले लेकर के लोगों का संबोधन किया करते थे और भाजपा के पक्ष में वोट देने की ना केवल अपील करते थे बल्कि अधिकार के साथ में भी वोट मांगा करते थे।”

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