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भारत में बढ़ रहा है बच्चों में अंधापन, जानें क्या है इसका कारण

childhood blindness

childhood blindness

लाइफ़स्टाइल डेस्क। दुनिया के लिए हमारी आंखे खिड़की की तरह होती हैं, जिसके खुले रहने पर हम बाहर कुछ भी देख सकते हैं और इसमें कुछ भी खराबी या इसके किसी भी क्रिटिकल पार्ट के कमजोर होने से खासकर कम उम्र में, नॉर्मल ज़िंदगी जीने, दुखी रहने और दूसरों पर निर्भर होके जीने का कारण बन सकता है। जन्म के समय से लेकर बचपन तक और फिर जवानी तक, बच्चों की आंखों पर मां-बाप और पीडियाट्रिक्स का महत्वपूर्ण फोकस बन जाता है।

संभवतः अनुमानों के अनुसार भारत में अंधे बच्चों की संख्या 1.6 और 2 मिलियन के बीच है। हालांकि बच्चों में अंधापन सामान्य स्वास्थ्य और पोषण की कमी से होता है, इसके साथ ही जन्म के समय या जन्म के बाद बच्चों के स्वास्थ्य तथा पोषण में ढिलाई बरतने पर भी अंधापन होता है। बहुत सारी आंखों से सम्बंधित कंडीशन होती है, जो या तो जन्मजात होती है या फिर जन्म के बाद बीमारी होने पर होती है।

ट्रेडिशनली कॉर्नियल क्लाउडिंग, स्कारिंग या डैमेज को भारत में बचपन के अंधेपन होने का सबसे बड़ा कारण माना गया है। 2000 के दशक की शुरुआत में हुई एक स्टडी में यह निष्कर्ष निकला था कि रिफ्रैक्टिव एरर्स की वजह से बचपन में अंधापन सबसे ज्यादा होता है, इसके बाद रेटिनल ओपेसिटी, कॉर्नियल ओपेसिटी, जन्मजात आंखों में समस्या होने और अंबेलोपिया की वजह से भी बचपन में अंधेपन की समस्या होती है। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह कि इस रिफ्रैक्टिव एरर्स का इलाज हो सकता है, फिर भी बच्चों में इसकी वजह से हुए अंधेपन के मामले कुल मामलों के एक तिहाई हैं।

विटामिन-ए की कमी जैसे रोकथाम योग्य कारणों के कारण हर 6 में से एक मामला और मोतियाबिंद के बाद मोतियाबिंद सर्जरी से अंधेपन के मामले सामने आते हैं। बाकी बचे बचपन के अंधेपन के मामले जन्मजात आंखो में डिसऑर्डर होने और रेटिना डिगनेरेशन की वजह से होते हैं।

हाल ही में हुई एक स्टडी में यह भी पाया गया कि मायोपिया रिफ्रैक्टिव एरर से अंधेपन के एक तिहाई मामले थे। 6 में से एक केस रोकथाम की कमी जैसे कि विटामिन-ए की कमी और एंबीलोपिया पोस्ट-मोतियाबिंद सर्जरी होती है। बाकी के बचे बचपन में अंधेपन के केसेस जन्मजात आंखों में समस्या होने और रेटिनल डिगेनेरेशन की वजह से होते हैं। एक अन्य स्टडी में पाया गया कि निकट दृष्टि दोष (myopia) से रिफ्रैक्टिव एरर के केस एक तिहाई थे।

इसके बाद एस्टिग्मेटिज्म और हाइपरमेट्रोपिया हैं। हालांकि हाल के रिसर्च से पता चला है कि विश्व स्तर पर यह एब्नॉर्मलिटीज (छोटी आंख या आंखों के न होने के केस) बढ़ने से माइक्रोफ़थाल्मोस और एनोफ़थाल्मोस और युवाल कोलोबोमा (आंख की आंतरिक परतों में दोष या गैप) जैसी कंडीशन होती है। देश और विदेश में अंधापन होने का यह सबसे बड़ा कारण है।

इस बदलाव को जेनेटिक म्यूटेशन के लिए भी जिम्मेदार ठहराया गया है इसके साथ ही साथ दवाओं और शराब का सेवन और गर्भावस्था के दौरान कीटनाशकों या उर्वरकों के संपर्क में आने से भी यह समस्या होती है। हाल के दो दशक से विशेष रूप से भारत में बचपन के अंधेपन के 40% केसेस कांगेनिटल ग्लोब एनोमलिज के कारण होते हैं।

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