देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Dhami) की पहल पर राज्य में पहली बार आयोजित हुए चिंतन शिविर (Chintan Shivir) में विभागीय ‘सामंजस्य को बढाने पर भी मंथन हुआ। नौकरशाही के इस चिंतन में यह बात प्रमुखता से इंगित हुई की किसी भी योजना के क्रियान्वयन में संबंधित विभागों के बीच तारतम्य न होने के कारण सरकार की जनकल्याणकारी नीतियों का लाभ जनता को कई बार नहीं मिल पाता। यही वजह रही कि विभागीय सामंजस्य को बढ़ाने पर बल दिया गया।
मसूरी की लाल बहादुर शास्त्री प्रशासनिक अकादमी में तीन दिनों तक चले धामी सरकार के चिंतन शिविर में कई ऐसी अहम बातें भी मथकर बाहर आई जिन पर कभी सोचने की जहमत ही नहीं उठाई गई।
नौकरशाही के इस चिंतन (Chintan Shivir) में खुद तमाम नौकरशाहों ने इस बात को बेहद पेशेवर रूप में स्वीकार किया कि सरकार कि कई जनकल्याणकारी योजनाएं ऐसी होती हैं जिनसे कई विभाग जुड़े होते हैं। देखने में आता है कि कई विभागों से जुड़े होने के चलते कई बार किसी एक दो विभागों के दिलचस्पी नहीं लेने के कारण इन योजनाओं का लाभ सरकार की विज़न के अनूरूप एंड यूजर को मिल ही नहीं पाता।
नौकरशाहों ने इस चिंतन में खुले दिल से स्वीकार किया कि राज्य सरकार के विभागों में इस समन्वय की कमी को खत्म करने की बेहद आवश्यकता है। यही वजह रही कि चिंतन शिविर (Chintan Shivir) में तमाम ऐसे विभागों के एकीकरण या एक छत के नीचे लाने की बात हुई जिनकी कार्यप्रणाली एक दूसरे से काफी मिलती है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Dhami) एवं मुख्य सचिव एसएस संधू (SS Sandhu) ने भी अपने संबोधन में अंतर विभागीय सामंजस्य पर बल दिया।