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ब्रजेश पाठक और एसीएस अमित मोहन में खीचतान

Brajesh Pathak

Brajesh Pathak

लखनऊ। उप्र की योगी आदित्यनाथ सरकार में ब्रजेश पाठक (Brajesh Pathak) उप मुख्यमंत्री हैं। वह चिकित्सा शिक्षा एवं स्वास्थ्य विभाग के मंत्री भी हैं। फिर भी पत्र लिख रहे हैं। पाठक विभाग में हुए तबादलों में तबादला नीतिक का पालन नहीं होने की बात कर रहे हैं। उन्होंने विभागीय मुखिया अमित मोहन प्रसाद (Amit Mohan) से तबादलों का पूरा ब्यौरा तलब किया है। इससे सवाल उठ रहे हैं। क्या अधिकारी की मनमानी इतनी बढ़ गयी है जिससे कि उन्हें मजबूर होकर पत्र लिखना पड़ा है ? या फिर इसके पीछे कोई और वजह है।

अमित मोहन प्रसाद सत्ता के शीर्ष से जुड़कर काम करने वाले नौकरशाह रहे हैं। समाजवादी पार्टी की अखिलेश यादव सरकार से लेकर भाजपा की योगी आदित्यनाथ सरकार तक उनका सिक्का चल रहा है। दो साल से अधिक समय से वह स्वास्थ्य विभाग के मुखिया के तौर पर काम कर रहे हैं। योगी सरकार-01 में भी उनके पास स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी थी। पिछली सरकार में कानून मंत्री रहते हुए ब्रजेश पाठक ने कोविड के दौरान पत्र लिख कर स्वास्थ्य व्यवस्थाओं पर सवाल खड़ा किये थे। अब वह खुद इस विभाग के मंत्री हैं। बावजूद उन्हें पत्र लिखना पड़ रहा है। कहीं ऐसा तो नहीं कि उस वक्त का लिखा गया पत्र आज पाठक और अमित मोहन प्रसाद के बीच विवाद का कारण है।

स्थानांतरण नीति का पालन नहीं किये जाने का है आरोप

उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने पत्र लिखकर कहा है कि मेरे संज्ञान में लाया गया है कि वर्तमान सत्र में जो भी स्थानांतरण किये गये हैं, उनमें स्थानांतरण नीति का पूर्णत: पालन नहीं किया गया है। पाठक लिखते हैं कि जिन-जिन का तबादला किया गया है, उनके स्थानांतरण किये जाने का कारण स्पष्ट करते हुए सम्पूर्ण विवरण उपलब्ध कराया जाए। उन्होंने पत्र के माध्यम यह सवाल भी किये हैं कि क्या जिन डॉक्टरों का तबादला किया गया है, उनसे अधिक समय से उक्त जिले, मण्डल में कोई अन्य डॉक्टर की तैनाती नहीं है?

दरअसल बहुत से मामलों में ऐसा देखा गया है कि कुछ प्रभावशाली डॉक्टर एक ही जिले में कई वर्षों से तैनात हैं। बावजूद इसके उनका तबादला नहीं किया गया। माना जा रहा है कि इस पत्र के बाद उपमुख्यमंत्री और अपर मुख्य सचिव खुले तौर पर आमने सामने आ गये हैं।

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योगी सरकार-02 में उपमुख्यमंत्री एवं स्वास्थ्य महकमें की जिम्मेदारी मिलने के बाद से ब्रजेश पाठक लगातार अस्पतालों में छापेमारी कर रहे हैं। कहीं मरीज बनकर तो कहीं तीमारदार बन कर पहुंच रहे हैं। पिछले दिनों उन्होंने 18 करोड़ की एक्सपायरी दवाओं को भी पकड़ा था। पाठक ने एक्सपायरी दवाओं समेत कई मामलों में जांच के निर्देश दिए हैं।

खबर है कि अधिकारी उस जांच को रोके हुए हैं। जांच हुई तो कई आला अधिकारियों का फंसना तय माना जा रहा है। इस छापेमारी को भी पाठक और प्रसाद के बीच तकरार का कारण के रूप में देखा जा रहा है। देखना है कि इस पूरे मामले में भारी कौन पड़ता है। सियासी गलियारे में विभिन्न प्रकार की चर्चा हो रही है।

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वरिष्ठ पत्रकार परवेज अहमद कहते हैं कि अमित मोहन प्रसाद सत्ता के शीर्ष से जुड़कर काम करने के आदी रहे हैं। इसलिए मंत्रियों से उनके उलझने की खबरें भी आती रही हैं। यह पहल मौका नहीं है जब उनकी किसी मंत्री से खीचतान सामने आई हो। फिलहाल इन दोनों लोगों को संतुलन बनाकर काम करना होगा।

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