वाराणसी। पूर्व एमएलसी चर्चित बाहुबली बृजेश सिंह (Brijesh Singh) को 21 साल पुराने गाजीपुर उसरी चट्टी हत्याकांड में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सशर्त जमानत दे दी है। जमानत मिलने के बाद पूरे 14 साल बाद गुरुवार शाम बृजेश सिंह को शिवपुर स्थित केन्द्रीय कारागार से रिहा कर दिया गया। बृजेश सिंह कड़ी सुरक्षा के बीच समर्थकों और परिजनों के साथ घर रवाना हो गये।
मूलरूप से वाराणसी के चौबेपुर धरहरा के निवासी बृजेश सिंह (Brijesh Singh) के छात्र जीवन में ही पिता रवींद्र नाथ सिंह उर्फ भुल्लन सिंह की हत्या 27 अगस्त 1984 को हो गई थी। पढ़ने में मेधावी रहे बृजेश सिंह पिता की हत्या से क्षुब्ध होकर घर छोड़ जुर्म की दुनिया में कदम रख दिया था। 28 मई 1985 को बृजेश सिंह के पिता के हत्या में आरोपित हरिहर सिंह की हत्या हो गई। इसमें बृजेश सिंह का नाम पहली बार सामने आय तो उनके खिलाफ चौबेपुर थाने में मुकदमा दर्ज हुआ। देखते ही देखते बृजेश सिंह और उनका गिरोह जुर्म की दुनिया का बड़ा नाम बन गया।
बृजेश सिंह और उनके गिरोह पर यूपी के बाहर भी कई आपराधिक वारदातों को अंजाम देने का आरोप लगा था। बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, पश्चिम बंगाल और ओडिशा के अलग-अलग जिलों के थानों में बृजेश के खिलाफ 41 मुकदमे दर्ज हुए। इसी बीच 15 जुलाई 2001 को मऊ जिले के सदर विधानसभा के तत्कालीन विधायक माफिया मुख्तार अंसारी और उनके काफिले पर गाजीपुर मुहम्मदाबाद क्षेत्र के उसरी चट्टी में अत्याधुनिक असलहों से जानलेवा हमला किया गया।
पूर्व एमएलसी हाजी इकबाल को बड़ा झटका, जारी हुआ गैर जमानती वारंट
इसमें मुख्तार अंसारी के गनर सहित कुल 3 लोग मारे गए और 9 लोग घायल हुए थे। इस मामले में मुख्यार अंसारी ने बृजेश सिंह और दाहिने हाथ त्रिभुवन सिंह सहित 15 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। इसी मामले में पूरे 21 साल बाद बृजेश सिंह को सशर्त जमानत इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दी।
यह आदेश न्यायमूर्ति अरविंद कुमार मिश्र ने दिया है। इसके पूर्व कई मामलों में अदालत ने बृजेश सिंह को बरी कर दिया था वह एकमात्र मामला बचा था जिसमें हाई कोर्ट ने जमानत दे दी। राज्य सरकार और मुख्तार अंसारी की ओर से अधिवक्ता उपेन्द्र उपाध्याय ने जमानत अर्जी का विरोध भी किया था। वर्तमान में वाराणसी प्राधिकारी क्षेत्र से बृजेश सिंह की पत्नी अन्नपूर्णा सिंह एमएलसी है।