हर साल जन्माष्टमी (Janmashtami) से पहले भक्त अपने घरों को सजाने और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की भव्य तैयारी में जुट जाते हैं। झूला, माखन, मिश्री, बांसुरी, मोरपंख जैसे प्रतीकों के साथ अगर कोई वस्तु इस शुभ अवसर को दिव्य बना सकती है, तो वह है कृष्ण कमल।
मान्यता है कि इस पौधे में स्वयं श्रीकृष्ण का वास होता है। लेकिन यही नहीं, इसके रहस्यमय फूल में छिपा है महाभारत से लेकर सृष्टि निर्माण तक का दिव्य संकेत। इस पौधे को जन्माष्टमी (Janmashtami) से पहले घर में लगाना शुभ माना जाता है। इसे सुख और सौभाग्य देने वाला पौधा मानते हैं।
क्या है कृष्ण कमल?
कृष्ण कमल (Passiflora Incarnata) एक बेलनुमा पौधा है, जो नीले-बैंगनी रंग के सुंदर और विशेष संरचना वाले फूल देता है। माना जाता है कि इसकी हर परत, हर पंखुड़ी केवल फूल नहीं, बल्कि प्रतीक है श्रीकृष्ण के चरित्र, उनके अवतारों और ब्रह्मांडीय रचना के रहस्य की।
इस फूल में श्रीकृष्ण का वास
भक्तों और कई संतों की मान्यता है कि जिस घर में कृष्ण कमल होता है, वहां श्रीकृष्ण की कृपा स्वतः बनी रहती है। यह पौधा नकारात्मक ऊर्जा को हटाता है। घर में सौभाग्य और प्रेम बढ़ाता है। विशेष रूप से जन्माष्टमी के समय इसे घर लाना बेहद पुण्यकारी माना जाता है।
इस फूल में दिखते हैं ये प्रतीक
100 पतली रेखाएं: फूल के अंदरूनी घेरे में बनीं ये पतली रेखाएं 100 कौरवों का प्रतिनिधित्व करती हैं।
5 मोटी पंखुड़ियां: इन्हें 5 पांडवों से जोड़ा जाता है।
तीन केंद्र बिंदु: जिन्हें ब्रह्मा, विष्णु और महेश के त्रिदेव स्वरूप माना जाता है।
एक केंद्रित संरचना: जो सृष्टि के केंद्र,परब्रह्म का प्रतीक मानी जाती है।
गोल घेरा: यह सुदर्शन चक्र की याद दिलाता है, जो कृष्ण का मुख्य अस्त्र है।
हरी-बैंगनी लताएं: जो मोर पंख और बांसुरी की लहर की छवि देती हैं।
यह फूल केवल सजावटी नहीं, एक दिव्य फूल है, जिसमें पूरे कृष्ण तत्व की झलक मिलती है।
वास्तु में भी श्रेष्ठ
वास्तु शास्त्र के अनुसार इस पौधे को उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) में लगाना सबसे शुभ होता है। वहां यह पौधा देव ऊर्जा को आकर्षित करता है और परिवार के सदस्यों में शांति, सद्भाव और समृद्धि लाता है।
आयुर्वेदिक और मानसिक लाभ
कृष्ण कमल को आयुर्वेद में भी मानसिक शांति देने वाला पौधा माना गया है। इसकी पत्तियां कुछ दवाओं में उपयोग होती हैं, जो तनाव, अनिद्रा और बेचैनी को कम करती हैं। इसकी उपस्थिति से घर का वातावरण शांत, सुंदर और सात्त्विक बना रहता है।








