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काशी में पर्यटन को मिली नई ऊंचाई, बाबा दरबार में दर्शनार्थियों का टूटा रिकार्ड

Kashi Vishwanath Dham

Kashi Vishwanath Dham

वाराणसी। वर्ष 2022 भी विदा होने के राह पर है। खट्टी-मीठी यादों के साथ यह साल चार दिन बाद बस यादों में रह जाएगा। नए साल के स्वागत के लिए दुनिया तैयार है तो जा रहे साल को विदाई भी दी जा रही है। वर्ष के शुरूआत में कोरोना से मुक्ति और जाते—जाते दिसम्बर माह के अन्तिम दिनों में फिर कोरोना संकट गहराने के बावजूद यह साल बाबा विश्वनाथ (Baba Vishwanath ) की नगरी और भारतीय जनता पार्टी को मुस्कुराने और सुकून देने के लिए कुछ बड़ी उपलब्धियों को भी छोड़े जा रहा है।

साल 2022 में काशी विश्वनाथ धाम (Kashi Vishwanath Dham) में दर्शन पूजन के लिए आये श्रद्धालुओं की संख्या ने रिकार्ड तोड़ दिया। वर्ष 2021 के 13 दिसम्बर को ऐतिहासिक काशी विश्वनाथ धाम ( Kashi Vishwanath Dham) के नव्य और भव्य विस्तारित स्वरूप का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शिवभक्तों के लिए लोकार्पित किया था। तब से एक साल में 7.35 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने बाबा विश्वनाथ के दरबार में हाजिरी लगाई। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन की आय में भी 500 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। इस साल में देश-दुनिया से श्रीकाशी विश्वनाथ के दर्शन के लिए आये शिवभक्तों ने दिल खोलकर बाबा के दरबार में नकदी, सोना, चांदी और अन्य धातुओं का चढ़ावा चढ़ाया है।

मंदिर प्रशासन के आंकलन के अनुसार चढ़ावे का कुल मूल्य 100 करोड़ रुपए से भी ज्यादा का है। मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील कुमार वर्मा के अनुसार धाम के लोकार्पण से अब तक श्रद्धालुओं द्वारा लगभग 50 करोड़ से अधिक की नकदी दान की गयी है। इसमें से 40 प्रतिशत धनराशि आनलाइन सुविधाओं के उपयोग से प्राप्त हुई है। वहीं श्रद्धालुओं द्वारा लगभग 50 करोड़ से अधिक की बहुमूल्य धातु (60 किलो सोना, 10 किलो चांदी और 1500 किलो तांबा) भी है। आस्थावानों द्वारा दिये गये सोना व तांबे का प्रयोग करके गर्भगृह की बाहरी एवं आंतरिक दीवारों को स्वर्ण मंडित किया गया है।

13 दिसम्बर, 2021 से लेकर अब तक श्रद्धालुओं द्वारा 100 करोड़ रुपए से अधिक का अर्पण किया गया है, जो मंदिर के इतिहास में सर्वाधिक है। साथ ही गत वर्ष की तुलना में ये राशि लगभग 500 प्रतिशत से अधिक है। इसी क्रम में प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में मतदान और मतगणना के बाद मार्च माह में जिले की आठों विधानसभा जीत भारतीय जनता पार्टी ने इतिहास रच दिया। 2017 के विधानसभा चुनाव के परिणामों को दोहरा कर भाजपा ने विरोधी दलों के सामने नई लकीर खींच दी। 2022 का मार्च माह भाजपा के लिए स्वर्णिम दौर रहा। मार्च माह में ही विधानसभा चुनाव में मतगणना के पूर्व पहड़िया मंडी में बने स्ट्रांग रूम के अलावा खाद्य गोदाम में बने स्टोरेज से ईवीएम मशीनों को यूपी कॉलेज ले जाते समय सपा कार्यकर्ताओं ने जमकर बवाल किया था। सपा कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि दक्षिणी विधानसभा की ईवीएम को बदला जा रहा है और पहड़िया मंडी में गाड़ी रोक हंगामा करने के साथ कार्यकर्ताओं धरना प्रदर्शन् भी किया था।

काशी तमिल संगमम पूरे देश में विशाल सांस्कृतिक समृद्धता का संदेश दे गया

वर्ष 2022 में काशी पुराधिपति बाबा विश्वनाथ की नगरी में आयोजित काशी तमिल संगमम ने ज्ञान और संस्कृति के दो ऐतिहासिक केंद्रों के मिलन के साथ पूरे देश में विशाल सांस्कृतिक समृद्धता का संदेश दे गया। एक महीने तक काशी नगरी में आयोजित भव्य काशी तमिल संगमम समारोह में न केवल दो संस्कृतियों का मिलन हुआ बल्कि लाखों लोग इस ऐतिहासिक क्षण का गवाह भी बने। भारतीय भाषा समिति (बीबीएस) काशी तमिल संगमम के माध्यम से काशी और तमिल संस्कृति के सदियों पुराने संबंधों को पुर्नजीवित करने में कामयाब हुई। इस कामयाबी को बीएचयू और आईआईटी मद्रास ने जो रूपरेखा तैयार की उसे साकार करने में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने बड़ी भूमिका निभाई।

17 नवंबर 2022 से तमिलनाडु से शुरु हुआ सफर 16 दिसंबर 2022 को काशी में समाप्त हो गया। लेकिन इस सफर ने जो ऐतिहासिक संदेश दिया है वह न केवल तमिलनाडु के लोगों के लिए बड़ी उपलब्धि है बल्कि काशीवासियों के लिए भी एक बड़ा संदेश है। 19 नवंबर 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बनारस में काशी तमिल संगमम का उद्घाटन किया था। प्रधानमंत्री जी ने अपने संबोधन में एक भारत श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना को आगे बढ़ाने का संकल्प दोहराया। साथ ही भाषायी अंतर को कम करने की बात भी कही। काशी तमिल संगमम में जिस प्रकार से तमिल गीतों-नाट्यों-वाद्यों का प्रस्तुतिकरण किया, वह अपने आप में अनुपम रहा।

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प्रख्यात तमिल महाकवि सुब्रह्मण्यम भारती की जयंती के दिन भारतीय भाषा उत्सव के आयोजन में तमाम हिंदी भाषी छात्र-छात्राओं ने भारत दर्जन भर से अधिक भाषाओं में अपनी प्रस्तुति देकर इस बात को सत्यापित किया कि भाषा से अधिक भाव महत्वपूर्ण है। भावना प्रबल हो, तो भाषायी अंतर मायने नहीं रखती हैं। भौगोलिक रूप से भले ही देश में कई राज्य हैं, लेकिन अंतर्मन से सभी एक भारत, श्रेष्ठ भारत के लिए संकल्पित हैं।

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