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BSNL और MTNL का विलय टला, भारी कर्ज में डूबी हैं दोनों कंपनियां

BSNL-MTNL

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वित्तीय कारणों से महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (एमटीएनएल) का भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) में फिलहाल विलय नहीं होगा। संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बुधवार को यह जानकारी दी। लोकसभा में एक लिखित जवाब में प्रसाद ने कहा कि इन दोनों सरकारी कंपनियों को भारी कर्ज होने के चलते इनका विलय फिलहाल टाल दिया गया है।

हालांकि, दोनों कंपनियों के बीच बेहतर सर्विस मुहैया कराने को लेकर सहयोग जारी रहेगा। गौरतलब है कि केंद्रीय कैबिनेट ने अक्तूबर, 2019 में नकदी संकट से जूझ रही दोनों कंपनियों की पुनरुद्धार की योजना को मंजूरी दिया था जिसमें विलय प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई थी।

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इसके तहत सरकार ने कंपनी पर वेतन का बोझ कम करने के लिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) को भी मंजूरी दी थी। एमटीएनएल पर करीब 20 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है। पुनरुद्धार योजना के तहत 69,000 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई थी जिसमें 20,140 करोड़ रुपये का पूंजी निवेश भी शामिल था। इसके अलावा सरकार ने 4जी सेवा शुरू करने का खर्च और 3,674 करोड़ रुपये की जीएसटी बकाया खुद से उठाने का फैसला किया था। इसके साथ ही दोनों कंपनियों के लिए कार्यशील पूंजी जुटाने के लिए 15,000 करोड़ रुपये का सॉवरेन बॉन्ड और 38,000 करोड़ की संपत्ति को मोनेटाइज करने का प्लान तैयार किया गया था।

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भारतीय दूरसंचार क्षेत्र में जहां तमाम निजी कंपनियां अपनी सेवा में विस्तार कर रही हैं, वहीं सरकारी दूरसंचार कंपनियां एमटीएनएल और बीएसएनएल भारी कर्ज में डूबी हुईं हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, बीएसएनएल के ऊपर करीब 23,000 करोड़ रुपये और एमटीएनएल पर करीब 20,000 करोड़ रुपये की देनदारियां हैं।

लंबे समय के बाद सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनियों बीएसएनएल और एमटीएनएल ने वित्त वर्ष 2020-21 की पहली छमाही में सकारात्मक कारोबार दिखाया है। बीएसएनएल और एमटीएनएल का एबिटडा (ब्याज, कर, डेप्रीशिएशन और लोन में परिशोधन से पूर्व आय) 2020-21 की पहली छमाही में सकारात्मक हो गई। सीधे शब्दों में कहें तो एबिटडा से किसी कंपनी के परिचालन प्रदर्शन का पता चलता है। सितंबर छमाही में बीएसएनएल का एबिटीडा मार्जिन 602 करोड़ रुपये रहा, जबकि एक साल पहले इसी अवधि में कंपनी को 3,596 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था।

बीएसएनएल और एमटीएनएल (महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड) के वेतन व्यय में क्रमश: लगभग 50 प्रतिशत (लगभग 600 करोड़ रुपये प्रति माह) और 75 प्रतिशत (लगभग 140 करोड़ रुपये प्रति माह) की कमी हुई है। स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) चलाने से कंपनी को यह लाभ मिला है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में कंपनी की वित्तीय स्थिति और मजबूत होगी।

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