बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima) हिंदू और बौद्ध दोनों ही धर्मों के लिए बहुत महत्वपूर्ण मानी जाता है। इसे वैशाख पूर्णिमा भी कहा जाता है। यह भगवान गौतम बुद्ध की जयंती के रूप में मनाई जाती है। हिंदू धर्म के लोग गौतम बुद्ध को भगवान विष्णु का अवतार मानते हैं। कहते हैं इसी दिन भगवान गौतम बुद्ध का जन्म, ज्ञान की प्राप्ति, और महापरिनिर्वाण यह तीनों घटनाएं हुई थीं।इसलिए यह दिन बहुत ही खास माना जाता है। इस दिन लोग गौतम बुद्ध के साथ भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। वहीं बौद्ध अनुयायी इस दिन व्रत रखते हैं। मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से पूजा और व्रत का पालन करने से व्यक्ति को भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima) कब है?
वैदिक पंचांग के अनुसार, वैशाख माह शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत रविवार, 11 मई को रात्रि 8 बजकर 1 मिनट पर होगी। वहीं तिथि का समापन अगले दिन यानी 12 मई को रात्रि 10 बजकर 25 मिनट पर होगी। उदया तिथि के अनुसार, बुद्ध पूर्णिमा का पर्व सोमवार 12 मई को मनाया जाएगा। इस बार भगवान गौतम बुद्ध की 2587 वीं जयंती मनाई जाएगी।
बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima) पूजा मंत्र
बुद्धि पूर्णिमा (Buddha Purnima) की दिन पीपल के पेड़ की पूजा का खास महत्व है। ऐसे में आपको “ॐ मणि पद्मे हुं” मंत्र का जाप करना चाहिए।
पूर्णिमा तिथि पर चंद्रमां पूजन का विशेष महत्व है। इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य देते हुए ‘ऊं एं क्लीं सोमाय नम:’ मंत्र का जप करना चाहिए।
बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima) का महत्व
बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima) का दिन आध्यात्मिक जागरूकता और मानवता के सेवा की प्रेरणा देता है। हिंदू धर्म में इसका महत्व इतना अधिक इसलिए है क्योंकि भगवान विष्णु के नौवे अवतार के रूप में देखा जाता है।
भगवान बुद्ध ने जीवन के दुःख, पाप, और कर्म के फल को समझाया और इसे पवित्र उपदेशों के माध्यम से मानवता को दिखाया। इस दिन को आध्यात्मिक उन्नति, आत्मिक शांति, और पुण्य अर्जन का अवसर माना जाता है।