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किसान आंदोलन की सप्लाई प्रभावित होने से आधा हुआ कारोबार

The impact of the peasant movement

किसान आंदोलन

नई दिल्ली। लॉकडाउन के चलते बेपटरी हुआ दिल्ली का कारोबार दिवाली के बाद जहां संभला था वहीं किसान आंदोलन के चलते यह फिर से बेपटरी हो गया है। आंदोलन के चलते बॉर्डर बंद हैं। इससे कारोबार प्रभावित हो रहा है। आवक से लेकर आपूर्ति तक प्रभावित हुई है। इससे प्रमुख बाजारों में कारोबार 50 फीसदी तक नीचे गिर गया है।

इस आंदोलन के चलते दिल्ली को कारोबारी नुकसान तेज हो गया है। चैंबर्स ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री के मुताबिक अभी तक 300 करोड़ के कारोबारी नुकसान का अनुमान है। आंदोलन के कारण प्रभावित क्षेत्रों के ट्रांसपोर्टर माल नहीं ले रहे हैं, जो गया था, वह पहुंचा नहीं है। अगर आंदोलन लंबा खिंचा तो अधिक नुकसान होगा।

किसान आंदोलन का असर कश्मीरी गेट ऑटो पार्ट्स मार्केट पर पड़ा है। ग्राहकों की संख्या में कमी के चलते ऑटो पार्ट्स का कारोबार 50 फीसदी तक गिरा है, स्टॉक कम हुए हैं। कश्मीरी गेट ऑर्ट्स ट्रेडर्स एसोसिशन अपमा के महासचिव विनय नारंग के अनुसार आंदोलन के चलते पंजाब, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर और हरियाणा से आने वाले ग्राहक बाजार में नहीं पहुंच रहे हैं। अपमा महासचिव विनय नारंग के अनुसार पंजाब के लुधियाना, जलाधंर, मोहाली, फगवाड़ा में टैक्टर्स के पार्ट्स बनते हैं। आंदोलन की वजह से आने वाले पार्ट्स में कमी आई है। स्टॉक भी कम हुआ है। नतीजतन 20 फीसदी तक भावों में बढ़ोतरी हुई है।

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सर्दियों का सीजन है। लुधियाना से आने वाले हौजरी में दिक्कत हो रही है। नतीजतन हौजरी कपड़ों की आवक 50 फीसदी तक गिर गई है। यह कारोबार प्रभावित हुआ है। सरोजनी नगर मिनी मार्केट एसोएिसशन के अध्यक्ष अशोक रंधावा के मुताबिक, दिवाली के सीजन में बेहतर कारोबार हुआ था, लेकिन आंदोलन के चलते स्टॉक नहीं है, न ही ग्राहक पहुंच रहे हैं। बाजार में व्यापक असर पड़ा है। दाम अभी स्थिर हैं।

किसान आंदोलन का असर किराना कारोबार पर भी पड़ा है। आंदोलन के चलते बंद हुई सड़कों की वजह से किराना के कई उत्पाद की आवक पंजाब, हरियाणा, हिमाचल और जम्मू-कश्मीर से नहीं हो रही है। कई आवक दिल्ली से इन राज्यों में भेजने में कारोबारियों को परेशानी हो रही है। इस वजह से कारोबार 40 फीसदी तक प्रभावित हुआ है। दिल्ली किराना कमेटी के अध्यक्ष विजय गुप्ता बंटी के मुताबिक, दिल्ली से इन राज्यों को दालें व मसालों की आपूर्ति की जाती हैं, जबकि वहां से चावल की आवक होती है। आंदोलन के चलते आपूर्ति-आवक बाधित हुई है।

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