नई दिल्ली। देश में अचानक बढ़ रहे लोहे और अन्य धातुओं की कीमतों से कारोबारी खासी चिंता में आ गए हैं। इसका असर ऑटोमोबाइल सेक्टर, ऑटो स्पेयर पार्ट्स, भवन निर्माण सामग्री और इंडस्ट्री के प्रॉडक्शन पर पड़ रहा है। आलम यह है कि पिछले छह महीने में स्टील की कीमत में 50 फीसदी की बढ़ोतरी हो चुकी है। इससे परेशान कारोबारियों ने सरकार का दरवाजा खटखटाया है।
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चेंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री के चेयरमैन बृजेश गोयल ने इस समस्या को उठाते हुए केंद्रीय स्टील मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को पत्र लिखा है। उन्होंने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना के दौर में स्टील कंपनियां मनमानी कर रही हैं। सभी मुनाफाखोरी में लगी हैं। उनका कहना है कि पिछले 6 महीने में स्टील के दाम करीब 50 फीसदी तक बढ़ गए हैं। 10-20 फीसदी की बढ़ोतरी तो तर्कसंगत मानी जा सकती है, लेकिन 50 फीसदी का इजाफा समझ से परे है।
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कारोबारियों ने केंद्रीय मंत्री से निवेदन किया है कि जल्द स्टील कंपनियों की मीटिंग बुलाएं, जिसमें कारोबारियों को भी सम्मिलित किया जाए। इसमें पूछा जाए कि स्टील और धातुओं के दामों में इजाफा क्यों हो रहा है? इस पर जल्द अंकुश लगना चाहिए, ताकि आम जनता और व्यापारी को भी महंगाई से राहत मिले।
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ऑटोमेटिव एंड जनरल ट्रेडर्स वेलफेयर एसोसिएशन के प्रेसिडेंट निरंजन पोद्दार का कहना है कि केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग मंत्री नितिन गडकरी ने भी एसोचैम की मीटिंग में कच्चे माल के बढ़ रहे रेट पर चिंता जताई है। इससे उद्योग धंधे भी प्रभावित हो रहे हैं। सरकार जल्द इस विषय पर कुछ निर्णय लेगी। लोहा, कॉपर, ब्रास समेत अन्य धातु खनीज के रेट पिछले एक-डेढ़ महीने में 30 प्रतिशत तक बढ़े हैं। इससे लघु कुटीर उद्योग खतरे में आ गए हैं।