सीतापुर में रहने वाले मेराज अहमद ने अनोखे ढंग से बकरीद का त्यौहार मनाया। मेराज अहमद और उनके परिवार ने जानवर की कुर्बानी न देकर, पिंजड़ों में बंद सैकड़ों पक्षियों को आजाद कर बकरीद का त्यौहार मनाया। मेराज अहमद पीएससी से मुख्य आरक्षी के पद से सेवानिवृत्त हैं। वह शहर कोतवाली इलाके के ग्वाल मंडी में अपने परिवार के साथ रहते हैं। मेराज अहमद ने बकरीद के त्यौहार पर जानवर की कुर्बानी नहीं दी। उन्होंने सड़क पर चिड़ियों को पिंजरे में बंद करके बेच रहे बहेलिए से करीब सौ चिड़ियों को खरीद कर उन्हें आजाद कराया और बकरीद के त्यौहार पर एक नई मिसाल पेश की।
पीएसी से सेवानिवृत्त हुए मेराज अहमद का कहना है कि कुर्बानी के तरीके अलग-अलग हैं। कोई जानवर भूखा है तो उसे खाना खिलाए, कोई जानवर बीमार है तो उसका इलाज कराएं, कोई जरूरतमंद है तो उसकी मदद करिए। मंदिर, मस्जिद या कब्रिस्तान में कोई काम है तो आप हाथ बंटाते हैं तो यह भी कुर्बानी है। कुर्बानी न देकर अपने समुदाय को नया पैगाम दिया है और नए पैगाम को लेकर चिड़ियों को जिंदगी दी है। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि अगली बार और लोग ऐसा करें।
मेराज अहमद के द्वारा बकरीद के अवसर पर पेश की गई मिसाल को लेकर पशु सेवा समिति के अध्यक्ष विजय सेठ का कहना है कि त्योहारों पर कुर्बानी न देकर एक ऐसा त्यौहार मनाए जिससे वन्य जीव पशु अपने समुचित जीवन को खुशहाल व्यतीत कर सकें। ऐसी ही मिसाल मेराज अहमद ने दी है। उन्होंने बकरीद पर कुर्बानी न देकर बंद चिड़ियों को आजाद कराया है। हम सभी से अपील करते हैं कि सभी लोग पशु पक्षियों के लिए आगे आए।