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वाणिज्य कर विभागीय में कैडर पुनर्गठन नहीं हुआ

commercial tax department

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लखनऊ। उत्तर प्रदेशीय चतुर्थ श्रेणी राज्य कर्मचारी महासंघ के प्रदेश महामंत्री ने बताया कि विभागीय कैडर पुनर्गठन के लिए आईआईएम लखनऊ को 01-07-2017 को जीएसटी अधिनियम लागू होने से अभी तक अधिक समय बीत जाने के बावजूद नये अधिनियम के प्राविधानों के अनुरूप विभागीय कैडर पुनर्गठन नहीं हो पाया है। प्रदेश महामंत्री सुरेश सिंह ने बताया है कि जिसका प्रतिकूल प्रभाव विभागीय कार्य पर पड़ रहा है, उन्होनें बताया कि सरकार द्वारा 59 लाख रुपए एवं किताबें छपवाने के लिए प्रिंटिंग लगभग 35 लाख रुपए खर्च किया जा चुका है।

आईआईएम द्वारा दो वर्ष पूर्व विभाग को अपनी संस्तुति रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी थी लेकिन कुछ शासन में बैठे उच्च अधिकारी एवं विभाग के कुछ अधिकारी आईआईएम की रिपोर्ट को दरकिनार करके दूसरी रिपोर्ट प्रस्तुत की है जिसकी वजह से विभागीय अधिकारी कर्मचारियों में गहरा आक्रोश है। उक्त कमेटी की रिपोर्ट से सरकार की छवि धूमिल करने की पूरा षडयन्त्र रचा गया है। इससे पूर्व भी कमेटी विवादित रही है। वर्तमान कमेटी द्वारा प्रस्तावित की गयी रिपोर्ट को निरस्त किये जाने की मांग की। प्रदेश महामंत्री ने आगे बताया कि सरकार द्वारा दिये गये निर्देशों को दर किनार किये जाने वाले आई0आई0एम0 की रिपोर्ट की स्पष्ट जांचख् की जानी चाहिये, कि सरकार की मंशा के विपरीत ऐसा क्यों किया जा रहा है। जबकि वाणिज्य कर सचल दल इकाइयों में कार्यरत कर्मचारियों अधिकारियों के द्वारा किये गये राजस्व हित में लगभग 20 करोड़ रुपये का राजस्व प्रतिमाह प्राप्त होता है।

जबकि कर्मचारियों पर देय लगभग 5.50 करोड़ रुपये कर्मचारियों/अधिकारियों के वेतन पर खर्च होता है और कर चोरी करने वाले कर माफियाओं पर अंकुश लगाने के लिये विभाग का मुख्य ढांचा सचल दल एवं एसआईबी मेन ढांचा विभागीय है, जो जमीन स्तर पर कर्मचारी/अधिकारी अपना जान जोखिम में डाल कर राजस्त प्राप्त करने में सरकार द्वारा जो भी निर्धारित लक्ष्य दिया जाता है।

उसको ईमानदारी से अधिकारी/कर्मचारी पूर्ण निष्ठा से करते हैं। यदि ऐसे में टुकड़ों में विभाग का कैडर स्ट्रक्चर प्रस्ताव को अधिकारियों द्वारा सरकार द्वारा दिये गये निर्देशों को गुमराह करके प्रस्ताव प्रस्तुत करते हैं तो सरकार को राजस्व की बहुत बड़ी हानि होगी जिसमें लगभग 3000 अधिकारी/कर्मचारी की सेवा पर प्रभाव पडेगा। संघ की मांग है कि उक्त प्रकरण को शासन में अपने संज्ञान में लेते हुये उसके द्वारा दिये गये निर्देशों को किस कारण दर किनार किया जा रहा है, ऐसे अधिकारियों पर प्रश्नचिन्ह उठना स्वाभाविक है, क्योंकि मुख्यमंत्री जी के आदेशों का क्यों पालन नहीं किया जा रहा है। इस पर सरकार अपने स्तर निष्पक्ष जांच कराकर आवश्यक कार्यवाही करें।

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