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दिवंगत मंहत नरेन्द्र गिरी के गनर पर मुकदमा, ये है बड़ी वजह

Mahant Narendra Giri

Mahant Narendra Giri

प्रयागराज। साधु संतो की सबसे बड़ी संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के पूर्व अध्यक्ष दिवंगत मंहत नरेन्द्र गिरी (Narendra Giri) के सुरक्षा में रहे गनर पर आय से अधिक संपत्ति रखने के मामले में कर्ननगंज थाने में भ्रष्टाचार का मुकदमा दर्ज कराया गया है।

पुलिस सूत्रों बताया कि नरेन्द्र गिरी के गनर रहे मूल रूप से बलिया में सिकन्दरपुर थाना क्षेत्र के कोदई गांव निवासी अजय कुमार सिंह को प्रारंभिक जांच के दौरान दोषी पाया गया। भ्रष्टाचार निवारण संगठन (एंटी करप्शन विभाग) के इंस्पेक्टर ठाकुर दास ने सोमवार को कर्नलगंज थाने में मुकदमा दर्ज कराया।

महंत नरेन्द्र गिरी की मौत के बाद अजय कुमार सिंह पर आय से अधिक संपत्ति के आरोप लगे थे। इसम मामले में शासन तक शिकायत पहुंच गयी थी। तब गृह विभाग की ओर से दिसंबर 2022 में मामले में जांच के आदेश दिए गये थे। भ्रष्टाचार निवारण संगठन मुख्यालय की ओर से जनवरी 2023 में जांच इंस्पेक्टर ठाकुरदास को सौंपी गई। प्रारंभिक रिपोर्ट में अजय कुमार सिंह दोषी पाया गया।

पुलिस एफआईआर के अनुसार अजय कुमार ने निर्धारित अवधि में वेतन बकाया, अतिरिक्त वेतन, बोनस, एलआईसी, उसके और उसकी पत्नी के खाते से ब्याज के रूप में, फ्लैट खरीदने के लिए एलआईसी और एचएफएल से लिया गया ऋण, एसबीआई से लिया गया पर्सनल लोन के वैध स्रोतों से कुल 95 लाख, 79 हजार 591 रूपया अर्जित किया गया। इसी अवधि में आरोपी द्वारा चल, अचल संपत्ति, निवेश, पारिवारिक भरण पोषण एवं अन्य मदो पर एक करोड़ 22 लाख 58 हजार रूपया खर्च किया गया है। यह राशि उनकी ज्ञात एवं वैध रूप से अर्जित आय से 28 फीसदी अधिक है जिसका उसके पास कोई लेखाजोखा नहीं है।

गौरतलब है कि महंत नरेन्द्र गिरी (Narendra Giri) 20 सितंबर 2021 को श्रीमठ बाघम्बरी गद्दी के कमरे में पंखे से रस्सी के सहारे लटके पाए गए थे। महंत की संदिग्ध मौत के उनके कमरे से कई पन्ने का सुसाइड नोट मिला था जिसमें नरेंद्र गिरि ने अपनी मौत के लिए पुराने शिष्य आनंद गिरि, मंदिर के पुजारी आद्या प्रसाद तिवारी तथा उसके बेटे संदीप तिवारी को दोषी ठहराया था।

अजय कुमार 2005 में कौशांबी पुलिस में कॉन्स्टेबल के पद पर तैनात हुआ था और 2012 में उसकी तैनाती प्रयागराज में कर दी गई। इसके बाद महंत नरेंद्र गिरि (Narendra Giri) की सुरक्षा में अजय को लगा दिया गया। महंत की मौत के बाद अजय कुमार सिंह की तैनाती फिर कौशांबी में कर दिया गया।

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