पटना। पटना हाईकोर्ट ने जातीय जनगणना (Caste Census) पर रोक लगाने वाली सभी याचिकाएं मंगलवार को खारिज कर दीं। जातीय जनगणना के खिलाफ दायर याचिकाओं पर चीफ जस्टिस केवी चंद्रन की खंडपीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि राज्य सरकार जातीय जनगणना करवा सकती है।
जातिगत जनगणना (Caste Census)का काम जनवरी 2023 से शुरू हुआ था। इसे मई तक पूरा किया जाना था, लेकिन हाई कोर्ट की रोक के बाद फिलहाल यह 80 प्रतिशत ही पूरा हो पाया है। पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के। विनोद चंद्रन और जस्टिस पार्थ सार्थी की खंडपीठ ने लगातार 3 से 7 जुलाई तक इस मामले में याचिकाकर्ता और बिहार सरकार की दलीलें सुनीं। दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया गया था। अब कोर्ट ने इस मामले में अपना बड़ा फैसला सुनाया है।
पटना हाईकोर्ट ने करीब 100 पन्नों का आदेश जारी किया है। कोर्ट ने उन सभी अर्जियों को खारिज कर दिया है, जिनमें यह दलील देते हुए रोक लगाने की मांग की गई थी कि जनगणना (Caste Census) का काम सिर्फ केंद्र का है, राज्य का नहीं। इसके बाद अब राज्य में एक बार फिर से जातिगत जनगणना का काम शुरू किया जाएगा।
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बिहार में जाति आधारित गणना (Caste Census) की शुरुआत सात जनवरी से हुई थी। पहले चरण का काम पूरा होने के बाद दूसरे फेज का काम 15 अप्रैल से किया जा रहा था। जाति आधारित गणना का काम पूरा होने से पहले चार मई को पटना हाईकोर्ट ने अपने एक अंतरिम आदेश में जाति आधारित गणना पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी थी। इसका करीब 80 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है।