अपर निजी सचिव (एपीएस) भर्ती-2010 के साथ ही पीसीएस भर्ती-2015 में हुए घोटाले के मामले में भी सीबीआई बड़ी कार्रवाई की तैयारी कर रही है। अगर सीबीआई को शासन से अभियोजन की अनुमति मिल जाती है तो कई सरकारी विभागों में तैनात कई कर्मचारी और अधिकारी भी कार्रवाई की जद में आ सकते हैं।
सूत्रों का कहना है कि सीबीआई को किसी सरकारी कर्मचारी या अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई के लिए शासन से अभियोजन की स्वीकृति लेनी होती है, इसके लिए सीबीआई ने कुछ माह पूर्व शासन से अनुमति मांगी थी, लेकिन कुछ अफसरों ने फाइल दबा रखी है। सूत्रों के मुताबिक एपीएस-2010 के तहत चयनित अभ्यर्थियों को अलग-अलग विभागों में तैनाती मिल चुकी है।
इनमें से कई चयनित अभ्यर्थी सीबीआई के निशाने पर हैं, लेकिन उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने या अन्य कार्रवाई के लिए सीबीआई को शासन से अभियोजन की स्वीकृति मिलने का इंतजार है। वहीं, सीबीआई की ओर से पीसीएस भर्ती-2015 में हुए घोटाले के मामले में पहले ही मुकदमा दर्ज किया जा चुका है।
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यह मुकदमा आयोग के अज्ञात अफसरों और बाहरी अज्ञात लोगों के खिलाफ दर्ज किया गया था। सूत्रों का कहना है कि सीबीआई अज्ञात अफसरों को चिह्नित कर चुकी है और उनके खिलाफ भी बड़ी कार्रवाई की तैयारी में है। पीसीएस-2015 की जांच के दौरान सीबीआई को कई अभ्यर्थियों की कॉपियों में विशेष चिह्न लगे हुए मिले थे, जिससे अभ्यर्थियों की पहचान आसानी से की जा सकती थी।
इसके साथ ही सीबीआई को मॉडरेशन की आड़ में नंबर घटाए-बढ़ाए जाने के साक्ष्य भी मिले थे। ऐसी तमाम गड़बड़ियां सामने आने के बाद सीबीआई ने पीसीएस-2015 के टॉपर से भी पूछताछ की थी। साथ ही आयोग के पूर्व सचिव और पूर्व परीक्षा नियंत्रक को भी पूछताछ के लिए कैंप कार्यालय एवं दिल्ली स्थित मुख्यालय बुलाया था। चयनित अभ्यर्थी अब विभिन्न जिलों में तैनात हैं। सूत्रों का कहना है कि पीसीएस-2015 के तहत अफसर बने संदिग्ध अभ्यर्थियों पर भी सीबीआई अब शिकंजा कसने को तैयार है।