तमिलनाडु के कुन्नूर में बुधवार को भारतीय वायु सेना के एक हेलिकॉप्टर के क्रैश हो जाने की वजह से चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका रावत और 11 अन्य रक्षाकर्मियों का निधन हो गया।
भारतीय वायुसेना के उस MI-17 हेलिकॉप्टर में कुल 14 लोग सवार थे, जिसमें सिर्फ एक की जान (ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह) बची है लेकिन उनकी भी हालत गंभीर बनी हुई है।
बता दें कि आज से करीब 6 साल पहले 2015 में भी जनरल बिपिन रावत को लेकर उड़ान भर रहा एक हेलिकॉप्टर क्रैश कर गया था लेकिन उस समय वो बाल-बाल बच गए थे। उस वक्त वे लेफ्टिनेंट जनरल (एलजी) के रूप में सेना में कार्यरत थे।
खबरों के मुताबिक, साल 2015 में 3 फरवरी को जनरल रावत सेना के तीन जवानों के साथ एक चीता हेलिकॉप्टर में सवार थे। नगालैंड में दीमापुर जिले के रबगापहाड़ हेलीपैड से उड़ान भरने के कुछ सेकंड बाद ही हेलिकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।
हेलिकॉप्टर ने उड़ान भरी ही थी कि इंजन जमीन से करीब 20 फुट की ऊंचाई पर बंद हो गया था, जिस वजह से हेलिकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। हालांकि इस घटना में उस चीता हेलिकॉप्टर पर सवार लोगों को मामूली चोट ही आई थी।
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बता दें कि बुधवार को जनरल रावत कोयंबटूर के पास सुलूर में वायुसेना अड्डे से वेलिंगटन में डिफेंस स्टाफ कॉलेज में कार्यक्रम में शामिल होने वायुसेना के एमआई-15 हेलिकॉप्टर से निकले थे।
इस हेलिकॉप्टर में सीडीएस बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका रावत, रक्षा सहायक, सुरक्षा कमांडो और एक भारतीय वायुसेना के पायलट सवार थे। घटना के चश्मदीद ने बताया कि उसने हेलिकॉप्टर को पेड़ों से टकराते हुए धरती पर गिरते हुए देखा, जिसके बाद वह आग के गोले में तब्दील हो गया था।
भारतीय वायुसेना ने हादसे के कारणों का पता लगाने के लिए जांच के आदेश दिए हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी गुरुवार को इस घटना पर संसद को संबोधित करेंगे और दोनों सदनों में जवाब देंगे।