सनातन धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है और इस दिन पूरी आस्था के साथ उपवास करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, सभी अमावस्या तिथि में मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) का विशेष फलदायी माना गया है। इन दिन विधि-विधान के साथ पूजा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। इसके अलावा पितृ दोष भी दूर हो जाता है।
कब मनाई जाएगी मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya)
मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) की तारीख को लेकर इस बार असमंजस की स्थिति निर्मित हो रही है। दरअसल मौनी अमावस्या के लिए माघ अमावस्या तिथि सूर्योदय के बाद शुरू हो रही है और अगले दिन सूर्योदय से पूर्व खत्म हो रही है। ऐसी स्थिति में मौनी अमावस्या 9 फरवरी या 10 फरवरी को मनाई जाए, इस बात को लेकर असमंजस है।
पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, पंचांग के मुताबिक, मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) 9 फरवरी को सुबह 08:02 बजे शुरू होकर 10 फरवरी को सुबह 04:28 बजे खत्म होगी। पौराणिक मान्यता है कि किसी भी व्रत, पर्व या त्योहार के लिए सूर्योदय के समय होने वाली तिथि की गणना करते हैं। इसलिए मौनी अमावस्या 9 फरवरी को ही मनाई जानी चाहिए।
मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) पर पितरों के लिए श्राद्ध, पिंडदान, ब्राह्मण भोज, दान के लिए 9 फरवरी को 11 बजे के बाद का समय शुभ है। यदि ये सभी कार्य दोपहर में 02:30 बजे से पहले तक कर लेना चाहिए।
मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) के दिन ही सर्वार्थ सिद्धि योग भी सुबह 07:05 बजे से रात 11:29 बजे तक निर्मित हो रहा है। इस आपको पितरों की आत्मिक शांति के लिए पितृ सूक्तम का पाठ करना चाहिए।