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केंद्रीय ट्रेड यूनियनों का किसान संगठनों द्वारा बुलाए गए भारत बंद को पूर्ण समर्थन

आठ दिसंबर को भारत बंद का ऐलान Bharat Bandh announced on 8 December

आठ दिसंबर को भारत बंद का ऐलान

नई दिल्ली। क्रेंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने संतोष के साथ बताया कि 27 नवंबर, 2020 से देश के सभी राज्यों में मजदूरों, कर्मचारियों और उनकी यूनियनें मौजूदा किसानों के संघर्ष के साथ एकजुटता दिखाते हुए विभिन्न आंदोलनों में पूरी तरह सक्रिय रही हैं। संयुक्त बयान में कहा गया कि केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच ने किसान संगठनों के एकजुट मंच के दृढ़ संकल्प का स्वागत किया है और आठ दिसंबर, 2020 को ‘भारत बंद’ के उनके आह्वान का पूर्ण समर्थन प्रदान करता है।

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संयुक्त मंच और क्षेत्रीय संघों / संगठनों ने मजदूरों, कर्मचारियों और उनकी यूनियनों से किसान संगठनों द्वारा बुलाए गए भारत बद के लिए सक्रिय रूप से एकजुटता दिखाने का आह्वान किया है। किसान संगठनों द्वारा आठ दिसंबर को भारत बंद के आह्वान का दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के एक संयुक्त मंच ने समर्थन किया है। इन ट्रेड यूनियनों ने हाल ही में पास हुए श्रम कानूनों के विरोध में बीते 26 नवंबर को राष्ट्रव्यापी हड़ताल बुलाई थी।

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एक संयुक्त बयान में कहा गया है कि केंद्रीय व्यापार संघों और स्वतंत्र क्षेत्रीय संघों/संगठनों के संयुक्त मंच ने कृषि कानूनों को खत्म करने की मांग को लेकर किसानों के चल रहे एकजुट संघर्षों को अपना पूरा समर्थन दोहराया है। इन दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों में इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (इंटक), ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक), हिंद मजदूर सभा (एचएमएस), सेंटर फार इंडियान ट्रेड यूनियंस (सीटू), ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर (एआईयूटीयूसी), ट्रेड यूनियन को-ऑर्डिनेशन सेंटर (टीयूसीसी), सेल्फ-एम्प्लॉइड वुमेन्स एसोसिएशन (सेवा), ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस (एआईसीसीटीयू), लेबर प्रोग्रेसिव फेडरेशन (एलपीएफ) और यूनाइटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस (यूटीयूसी) शामिल है।

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गौरतलब है कि कृषि कानूनों को लेकर पिछले दो महीने से चल रहे आंदोलन का हल निकालने के लिए शनिवार को केंद्र सरकार और किसानों के बीच पांचवें दौर की वार्ता चल रही है। किसान संगठनों और केंद्र सरकार के मंत्रियों के बीच अब तक चार दौर की बातचीत हो चुकी है। गुरुवार को विज्ञान भवन में हुई लंबी वार्ता में सकारात्मक संकेत मिलने के बाद शुक्रवार को संयुक्त किसान मोर्चा ने दबाव की रणनीति का दांव खेला था। सिंघु बॉर्डर पर आयोजित प्रेस वार्ता में किसान नेताओं ने साफ तौर पर कहा कि वे तीनों कानून को रद करने पर आंदोलन को समाप्त करेंगे।

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