प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी परियोजना सेंट्रल विस्टा का काम निरंतर आगे भी जारी रहेगा। दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को याचिकाकर्ता आन्या मल्होत्रा की मंशा पर सवाल उठाते हुए सेंट्रल विस्टा का काम रोकने की याचिका खारिज कर दी और इसके साथ 1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। इस तरह सोमवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने यह भी तय कर दिया कि सेंट्रल विस्टा का काम आगे भी निरंतर जारी रहेगा। इससे पहले याचिकाकर्ता आन्या मल्होत्रा की याचिका पर सुनवाई कर 17 मई को हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।
बता दें कि दिल्ली में लगाए गए लॉकडाउन के बाद याचिकाकर्ता ने यह कहकर याचिका दायर की थी कि अभी दिल्ली में कंस्ट्रक्शन एक्टिविटीज पर पूरी तरह रोक है, तो इस प्रोजेक्ट का काम क्यों नहीं रोका गया। याचिका में कहा गया था कि 500 से ऊपर मजदूर वहां काम कर रहे है इससे वहां कोरोना संक्रमण फैलने का खतरा है।
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लेकिन आज जब हाई कोर्ट ने ये फैसला सुनाया तब पहले ही दिल्ली सरकार कंस्ट्रक्शन एक्टिविटी पर लगी रोक को हटा चुकी है।
अदालत ने कहा कि लोगों की रुचि इस प्रोजेक्ट में है, और इस पर नवंबर में काम पूरा होने का कॉन्ट्रैक्ट है। अदालत ने कहा कि ये महत्वपूर्ण पब्लिक प्रोजेक्ट है और इसे अलग करके नहीं देखा जा सकता है। ये एक राष्ट्रीय महत्व का प्रोजेक्ट है। अदालत ने कहा कि इस प्रोजैक्ट की वैधानिकता साबित की जा चुकी है और सरकार को नवंबर 2021 तक इस काम को पूरा करना है।
कोरोना संक्रमण के सवाल पर अदालत ने कहा कि चूंकि अभी सभी वर्कर निर्माण स्थल पर हैं और सभी कोविड प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा है। इसलिए इस कोर्ट के पास कोई कारण नहीं है कि वो आर्टिकल 226 के तहत मिले शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए इस प्रोजेक्ट को रोक दे।
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इसके अलावा अदालत ने याचिकाकर्ता की मंशा पर भी सवाल उठाया और 1 लाख का जुर्माना लगाया।
बता दें कि 22 लाख वर्गफीट भूभाग पर सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत नए संसद भवन और सचिवालय समेत अन्य इमारतों का निर्माण होना है। इस परियोजना पर 20 हजार करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है।