भोपाल| मध्य प्रदेश के माध्यमिक शिक्षा मण्डल के अध्यक्ष राधेश्याम जुलानिया ने नई शिक्षा नीति पर कहा कि वर्तमान शिक्षा नीति औपनिवेशिक काल की देन है। उस समय इसके उद्देश्य बहुत सीमित थे। आजादी के बाद शिक्षा नीति में कुछ बदलाव जरूर हुए, लेकिन इन पर भी मैकाले की छाया साफ दिखाई देती थी।
लेकिन नई शिक्षा नीति राष्ट्र की आकांक्षा को पूरी करने वाली है, यह हममें आत्म गौरव का भाव जगाती है। यदि हम यह कहें कि नई शिक्षा नीति यूरोप की छाया से पूर्णत: मुक्त है तो इसमें कतई अतिश्योक्ति नहीं है।
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आधिकारिक जानकारी के अनुसार जुलानिया ने मध्यप्रदेश प्रेस क्लब द्वारा नई शिक्षा नीति पर आधारित विचार सत्र’शिक्षा चौपाल’के आयोजन के दौरान लोगों को वर्तमान शिक्षा की जमीनी हकीकत से परिचित कराया।
उन्होंने शिक्षा की स्थिति एवं संसाधनों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह आलोचना की नहीं, बल्कि आत्म अवलोकन की बात है। नई शिक्षा नीति परीक्षाओं की बाध्यता तथा पाठ्य सामग्री के चयन आदि में काफी रियायतें देती हैं जिससे शिक्षा में सुधार के रास्ते खुलते हैं।