हिंदू धर्म में चैत्र का महीना (Chaitra Month) बहुत पुनीत माना जाता है। चैत्र का महीना भक्ति ,व्रत और त्योहार से परिपूर्ण होता है। वैदिक पंचाग के अनुसार, चैत्र के महीने से हिंदू नववर्ष की शुरुआत हो जाती है। चैत्र मास को मधुमास भी कहा जाता है। इस माह में पड़ने वाले व्रत और त्योहार बड़े विशेष माने जाते हैं। चैत्र के महीने से ही मौसम भी परिवर्तित होता है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से चैत्र नवरात्रि प्रारंभ होती हैं। चैत्र मास (Chaitra Month) में चैत्र नवरात्रि, गुड़ी पड़वा, रंग पंचमी, आमलकी एकादशी, शीतला अष्टमी, पापमोचनी एकादशी, राम नवमी के व्रत और त्योहार आएंगे।
कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा
होली के त्योहार यानी पूर्णिमा तिथि के समापन के बाद ही प्रतिपदा तिथि शुरू हो जाती है। इसी तिथि की शुरुआत से चैत्र का महीना (Chaitra Month) आरंभ हो जाता है। साल 2025 में प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 15 मार्च से हो रही है। ये कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि रहेगी। इस दिन शनिवार है। यानी साल 2025 में 15 मार्च से चैत्र के महीने की शुरुआत हो जाएगी। वहीं ये महीना 12 अप्रैल को समाप्त हो जाएगा।
मत्स्य अवतार
पौराणिक मान्यता अनुसार ब्रह्माजी ने चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही सृष्टि की रचना शुरू की थी। इसी दिन भगवान विष्णु ने दशावतार में से पहला मत्स्य अवतार लेकर प्रलयकाल में जल में से मनु की नौका को सुरक्षित जगह पर पहुंचाया था। प्रलयकाल खत्म होने पर मनु से ही नई सृष्टि की शुरुआत हुई।
चैत्र मास (Chaitra Month) के नियम
सुबह जल्दी उठकर ध्यान और योग करना चाहिए।
सूर्योदय से पहले उठना चाहिए।
नियमित रूप से भगवान विष्णु और सूर्य की पूजा करनी चाहिए।
व्रत करना चाहिए।
नीम के पत्ते खाने चाहिए।