हिंदू धर्म में नवरात्रि का खास महत्व है। इस दौरान मां दुर्गा के सभी नौ रूपों का आराधना की जाती है। वैसे तो नवरात्रि का व्रत साल में चार बार रखा जाता है, जिसमें से दो गुप्त और दो प्रत्यक्ष नवरात्रि होते हैं। चैत्र और आश्विन माह माह में आने वाले नवरात्रि प्रत्यक्ष नवरात्रि होते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) की शुरुआत चैत्र मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है। इस दिन से हिंदू नववर्ष की शुरुआत भी होती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, नवरात्र के दौरान शुभ मुहूर्त में अखंड ज्योत और कलश स्थापना करने से व्यक्ति मां भगवती प्रसन्न होती है और व्यक्ति पर अपना आशीर्वाद प्रदान करती हैं।
घटस्थापना शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 13 मिनट से लेकर 10 बजकर 22 मिनट तक रहेगा। इस दौरान भक्तों को कुल 4 घंटे 8 मिनट का समय मिलेगा। इसके अलावा घट स्थापना का अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 1 मिनट से लेकर 12 बजकर 50 मिनट तक रहेगा। ऐसे में भक्तों को कुल 50 मिनट का समय मिलेगा। भक्त अभिजीत मुहूर्त में भी घटस्थापना कर सकते हैं।
नवरात्रि (Chaitra Navratri) पूजा सामग्री लिस्ट
नवरात्रि (Chaitra Navratri) की पूजा सामग्री कुछ इस प्रकार हैं- रूई/बत्ती,धूप, घी और दीपक, फूल, दूर्वा, पंच पल्लव, 5 तरह के फल, पान का पत्ता, लौंग, इलायची, अक्षत, सुपारी, नारियल, पंचमेवा, जायफल, जौ, कलावा, माता की लाल चुनरी, माता के लाल वस्त्र, माता की तस्वीर या अष्टधातु की मूर्ति, माता के शृंगार का सामान, लाल रंग का आसन और मिट्टी का बर्तन।
चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) कलश स्थापना पूजा विधि
नवरात्रि (Chaitra Navratri) के पहले दिन कलश स्थापना करने से लिए घर की साफ-सफाई कर स्नान कर लें। उसके बाद सुख- समृद्धि के लिए घर के मुख्य द्वार पर दोनों ओर स्वस्तिक बनाएं और आम या अशोक के पत्तों को तोरण लगाएं। उसके बाद एक लकड़ी के चौकी पर मां दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। साथ ही मूर्ति की बाई और गणेश जी की मूर्ति भी रखें। फिर मिट्टी के बर्तन में जौ उगाएं। एक लोटे में जल भरकर उसमें थोड़ा सा अक्षत डालें। फिर उसके ऊपर आम के पत्ते लगाकर जटा वाला नारियल रखें। उसके बाद मंत्रों के उच्चारण करते हुए माता रानी को पूजा सामग्री अर्पित करें। इसके अलावा श्रृंगार का सामान जरूर चढ़ाएं। उसके बाद घी का दीपक जलाएं और आरती करें।