चैत्र नवरात्र (Chaitra Navratri) चैत्र शुक्ल प्रतिपदा दो अप्रैल को शुरू हो रही है। इसी दिन से नवसंवत्सर 2079 भी शुरू होगा। नवरात्र (Chaitra Navratri) शुरू होने के साथ ही घट स्थापना होगी और नौ दिन तक पूरे विधि विधान के साथ मातृ पूजा का क्रम रहेगा।
शक्तिपीठों पर घट स्थापना के साथ जवारे बोए जाएंगे, विविध व्रत-अनुष्ठान होंगे। नवरात्र समापन पर इन जवारों का विधि-विधान से सरोवर में विसर्जन किया जाएगा।
ज्योतिर्विद डॉ. अलकनंदा शर्मा ने बताया कि इस साल चैत्र नवरात्र 2 अप्रैल से शुरू हो रहे हैं और जिनका समापन 11 अप्रैल को होगा। अबकी चैत्र नवरात्र का आरंभ शनिवार को हो रहा है। इस बार मां दुर्गा का आगमन अश्व यानी घोड़े पर हो रहा है।
इस चैत्र नवरात्र में बन रहे है 4 शुभ योग, भक्तों को प्राप्त होगा दोगुना फल
चैत्र नवरात्र की नवमी पर भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव राम नवमी का पर्व मनाया जाएगा जो इस बार 10 अप्रैल को है। नवरात्र की प्रतिपदा पर दो अप्रैल को घटस्थपना का शुभ मुहूर्त सुबह 8.05 बजे से 8.30 तक श्रेष्ठ माना गया है।
देवीभागवत पुराण में जिक्र किया गया है कि ‘शशि सूर्य गजरुढ़ा शनिभौमै तुरंगमे, गुरौशुक्रेच दोलायां बुधे नौकाप्रकीर्तिता’, इस श्लोक में सप्ताह के सातों दिनों के अनुसार देवी के आगमन का अलग-अलग वाहन बताया गया है। अगर नवरात्र का आरंभ सोमवार या रविवार को हो तो इसका मतलब है कि माता हाथी पर आएंगी। शनिवार और मंगलवार को माता अश्व यानी घोड़े पर सवार होकर आती हैं। गुरुवार या शुक्रवार को नवरात्र का आरंभ हो रहा हो तब माता डोली पर आती हैं। बुधवार के दिन नवरात्र पूजा आरंभ होने पर माता नाव पर आरुढ़ होकर आती हैं।
जानिए कब है चैत्र नवरात्रि का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि
अबकी चैत्र नवरात्रि का आरंभ शनिवार को हो रहा है। इस बार मां दुर्गा का आगमन अश्व यानी घोड़े पर हो रहा है। इस वर्ष देवी अश्व पर आ रही हैं जो कि युद्ध का प्रतीक होता है। इसे शासन और सत्ता के प्रतिकूल माना जा सकता है। सरकार को विरोध का सामना करना पड़ सकता है, किन्तु जिन लोगों पर देवी की विशेष कृपा होगी उनके अपने जीवन में अश्व की गति के सामान ही सफलता की प्राप्ति होगी। इसलिए नवरात्रि के दौरान पूरे मन से देवी की आराधना करें, व्रत करें एवं मां प्रसन्न करने की हर संभव कोशिश करें।