हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि तक चैत्र नवरात्र (Chaitra Navratri) मनाया जाता है। इन नौ दिनों में जगत जननी आदि शक्ति मां दुर्गा और उनके नौ रूपों की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत रखा जाता है। जगत की देवी मां दुर्गा की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है।
वैदिक पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि शनिवार 29 मार्च को शाम 4:27 पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 30 मार्च को दोपहर 12:49 पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। अतः 30 मार्च को घटस्थापना है। इस दिन से चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) की शुरुआत होगी।
घटस्थापना मुहूर्त
घटस्थापना मुहूर्त प्रतिपदा तिथि पर है।
घटस्थापना मुहूर्त – 06:13 से 10:22
अवधि – 04 घण्टे 08 मिनट्स
घटस्थापना अभिजित मुहूर्त – 12:01 से 12:50
अवधि – 00 घण्टे 50 मिनट्स
पूजा-विधि
– सुबह उठकर स्नान करें और मंदिर साफ करें
– माता का गंगाजल से अभिषेक करें
– अक्षत, लाल चंदन, चुनरी और लाल पुष्प अर्पित करें
– प्रसाद के रूप में पूरी, चना और खीर/हलवा चढ़ाएं
– घर के मंदिर में धूपबत्ती और घी का दीपक जलाएं
– दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ करें
– हवन पूजन करें
– पान के पत्ते पर कपूर रख माता की आरती करें
– अंत में क्षमा प्राथर्ना करें
व्रत पारण टाइम: नवरात्रि के 9 दिनों का व्रत रखने पर दशमी तिथि पर व्रत का पारण करना चाहिए। दशमी तिथि 06 अप्रैल को शाम 07:23 मिनट से शुरू हो रही है, जो 07 अप्रैल को शाम 8 बजे तक रहेगी। वहीं, कुछ नवरात्रि के पहले और आखिरी दिन व्रत रखते हैं। ऐसे में जरूरी नहीं की दशमी तिथि लगने के बाद ही किया जाए। अष्टमी के दिन दिन व्रत रखा है तो नवमी के दिन पूजा-पाठ करने के बाद व्रत तोड़ सकते हैं।
मंत्र
ऊं दुर्गाय नम:
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे
सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके, शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते
ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।