आज चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) का चौथा दिन है। नवरात्र के चौथे दिन मां कुष्मांडा (Maa Kushmanda ) की पूजा की जाती है। कूष्मांडा देवी को ब्रह्मांड की आदिशक्ति माना जाता है। मां दुर्गा के सभी स्वरूपों में मां कूष्मांडा का स्वरूप सबसे उग्र माना गया है। मां कुष्मांडा सूर्य के समान तेज देती हैं।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब संपूर्ण संसार में अंधकार का छा गया था, तब मां कुष्मांडा (Maa Kushmanda ) ने अपनी मधुर मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की थी। माना जाता है कि कुष्मांडा माता की पूजा करने से बुद्धि में वृद्धि होती है। देवी कुष्मांडा की विधिपूर्वक पूजा करने के बाद उनकी आरती के साथ पूजा समाप्त होनी चाहिए।
मां कूष्मांडा (Maa Kushmanda ) पूजा विधि
चैत्र नवरात्र के चौथे दिन देवी कूष्मांडा की पूजा करते समय पीले रंग के वस्त्र पहनें। पूजा के समय देवी को पीला चंदन ही लगाएं। इसके बाद कुमकुम, मौली, अक्षत चढ़ाएं। पान के पत्ते पर थोड़ा सा केसर लेकर ऊँ बृं बृहस्पते नम: मंत्र का जाप करते हुए देवी को अर्पित करें। अब ॐ कुष्माण्डायै नम: मंत्र की एक माला जाप करें और दुर्गा सप्तशती या सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करें।
मां कूष्मांडा को पीला रंग अत्यंत प्रिय है। इस दिन पूजा में देवी को पीले वस्त्र, पीली चूड़ियां और पीली मिठाई अर्पित करें। देवी कुष्मांडा को पीला कमल प्रिय है। मान्यता है कि इसे देवी को अर्पित करने से साधक को अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद मिलता है।
इस चीज का लगाएं भोग
मां कुष्मांडा (Maa Kushmanda ) को मालपुए का भोग लगाएं। इससे बुद्धि, यश और निर्णय लेने की क्षमता में वृद्धि होगी। मालपुए का भोग लगाने के बाद स्वयं खाएं और ब्राह्मण को भी दें।
मां कूष्मांडा (Maa Kushmanda ) मंत्र
– ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
– या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्मांडा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
– ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै’