आज चैत्र नवरात्रि का आठवां दिन है और इस दिन मां दुर्गा के आठवें रूप यानी महागौरी की पूजा-अर्चना की जाती है। आइए जानते हैं देवी महागौरी की पूजा का महत्व और पूजन-विधि।
देवी महागौरी की पूजा का महत्व
महागौरी को पार्वती अर्थात भगवान शिव की अर्धांगिनी के रूप में भी जाना जाता है। कहा जाता है कि मां महागौरी की पूजा-अर्चना करने से भक्तों के सभी पाप धुल जाते है और उनके धन संबधित कष्ट भी दूर हो जाते हैं। महागौरी की चार भुजाएं हैं। इनके दाहिने हाथ में अभय मुद्रा और नीचे वाले दाहिने हाथ में त्रिशूल है। मां के ऊपरवाले बाएं हाथ में डमरू और नीचे के बाएं हाथ में वर-मुद्रा है। इनकी मुद्रा अत्यंत शांत है। मां महागौरी का वर्ण सफेद और बेहद खूबसूरत है, यही कारण है कि इनका नाम महागौरी है। मां गौरी की उपासना करने से नौकरी से संबंधित बाधाएं दूर होती हैं।
मां महागौरी की पूजा-विधि
सर्वप्रथम चौकी पर मां महागौरी की तस्वीर या मूर्ति की स्थापना करें और फिर गंगा जल या गौमूत्र से शुद्धिकरण करें।
इसके बाद कलश पूजन करें और फिर मां का विधि-विधान से पूजा करें।
मां महागौरी को सफेद पुष्प अर्पित करें।
पूजा के दौरान मां के वंदना मंत्र का 108 बार जाप करें।
तत्पश्चात मां का स्त्रोत पाठ करें।
आप पीले वस्त्र धारण कर मां महागौरी की पूजा करें, इससे विशेष फल प्राप्त होता है।
इस दिन माता को सफेद रंग का भोग अर्पित करना बिलकुल भी न भूलें।
महागौरी वंदना मंत्र
श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।