लखनऊ। बीते वर्ष वर्ष 29 जुलाई को उत्तर प्रदेश के 34वें राज्यपाल के तौर पर शपथ लेने वालीं आनंदीबेन अपने लंबे राजनीतिक व विधायी अनुभव के साथ उत्तर प्रदेश में भी पूरी तरह सक्रिय हैं। अब तक 33 जिलों में जा चुकीं राज्यपाल की प्रदेशवासियों से सीधे जुड़े विभागों के कामकाज पर पैनी नजर है। स्पष्ट कहती हैं कि अच्छा काम न करने वाले कोई भी कुलपति कार्यकाल पूरा होने से पहले भी कुर्सी से हटाए जा सकते हैं।
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79 वर्षीय आनंदीबेन बेबाकी से बोलती हैं कि आखिर किसान की बेटी हूं। लम्बा अनुभव है, काम करना और कराना दोनों आता है, इसलिए किसी से कोई दिक्कत नहीं। हां, महिलाएं और बच्चे प्राथमिकता में हैैं और हर गांव में उन्हेंं जागरूक करूंगी। आज का गुजरात एक-दो वर्ष में नहीं, बल्कि डेढ़-दो दशक तक लगातार टीमवर्क के साथ काम करने के कारण बना है। नरेंद्र भाई की टीम की कड़ी मेहनत का नतीजा है कि गुजरात की मिसाल हर जगह दी जाती है। उत्तर प्रदेश में भी योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में बेहतर काम हो रहा है। 75 में से अब तक 33 जिलों में जाने का मौका मिला है।
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कई जिलों में तो कई बार विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए गई। कोविड-19 न होता तो अब तक सभी जिलों का दौरा हो चुका होता। मेरी कोशिश रहती है कि शहर ही नहीं गांव में भी जाऊं। किसान की बेटी हूं, इसलिए किसानों, महिलाओं व बच्चों के बीच जाकर उन्हेंं जागरूक करने की सदैव इच्छा रहती है। गुजरात की तरह यहां भी किसानों को आर्गेनिक खेती, महिलाओं को खास तौर से बेटियों की शिक्षा व बच्चों को स्कूल जाने के लिए प्रेरित करूंगी, ताकि गांव की कार्य संस्कृति बदले और सद्भाव का माहौल रहे।