चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan) का बहुत अधिक ज्योतिष, धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व होता है। धार्मिक दृष्टि से देखा जाए तो चंद्र ग्रहण का कारण राहु-केतु माने जाते हैं। ज्योतिष विद्या के अनुसार, ये ग्रहण केतु के कारण लगने वाला है। राहु और केतु छाया ग्रहों को सांप की भांति माना गया है, जिनके डसने पर ग्रहण लगता है। वहीं, कुछ लोगों का मानना है की जब राहु और केतु चंद्रमा को निगलने की कोशिश करते हैं तब चंद्र ग्रहण लगता है। वहीं वैज्ञानिक दृष्टि से जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य एक सीधी रेखा में आ जाते हैं,तो इस दौरान सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर पड़ता है, लेकिन चंद्रमा पर नहीं पड़ता है। इस घटना को ही चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan) कहते हैं।
यह चन्द्र ग्रहण (Chandra Grahan) खग्रास चंद्र ग्रहण होगा। भारत में यह ग्रहण दिखाई नहीं देगा। यह चन्द्र ग्रहण मुख्यतः प्रशान्त महासागर, उत्तरी अमेरिका और दक्षिण अमेरिका, पश्चिमी यूरोप और पश्चिमी अफ्रीका में दिखाई देगा। 14 मार्च को होली भी है।
होली पर नहीं होगा ग्रहण (Chandra Grahan) का प्रभाव
भारत में 13 मार्च को होलिका दहन और 14 मार्च को रंगों की होली होगी। ऐसे में इस पूर्ण चंद्र ग्रहण का प्रभाव भारत पर नहीं होगा, क्योंकि जिस समय ग्रहण होगा, उस समय यहां दिन हो रहा होगा। ऐसे में इसका धार्मिक महत्व नहीं माना जाएगा। पूर्ण चंद्र ग्रहण को देखने के लिए किसी खास चश्मे आदि की जरूरत नहीं होगी। यह पूरी तरह से सुरक्षित है। इसे आसानी से देखा जा सकेगा। लेकिन अगर आप अच्छे से अनुभव करना चाहते हैं, तो आप पॉवरफुल टेलीस्कोप से देख सकते हैं। यह ग्रहण भारत में नहीं दिखाई दे रहा है, जिस वजह से होली पर ग्रहण का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
भारत में चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan) का समय-
सुबह 09 बजकर 27 मिनट पर भारतीय समयानुसार उपछाया ग्रहण प्रारंभ होगा और सुबह 10 बजकर 39 मिनट पर आंशिक और सुबह 11 बजकर 56 मिनट पर पूर्ण चंद्र ग्रहण समाप्त होगा।