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100 साल बाद पितृ पक्ष पर बन रहा है दुर्लभ संयोग, ग्रहण के साये में पितरों को मोक्ष

pitru paksha

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हिंदू धर्म में पितृ पक्ष (Pitru Paksha) का विशेष महत्व है। इस साल पितृ पक्ष बेहद खास रहने वाला है, क्योंकि लगभग 100 साल बाद ऐसा दुर्लभ संयोग बन रहा है जब पितृ पक्ष के दौरान चंद्र और सूर्य ग्रहण एक साथ पड़ेंगे। हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का महत्व बेहद खास माना जाता है।

पंचांग के अनुसार, इस साल पितृ पक्ष (Pitru Paksha) 7 सितंबर, 2025 से शुरू होकर 21 सितंबर, 2025 तक चलेगा। इस दौरान लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, श्राद्ध और दान-पुण्य करते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ग्रहण को शुभ और अशुभ फल देने वाला काल बताया जाता है। ऐसे में सवाल उठता है कि ग्रहण का यह दुर्लभ संयोग पितरों के मोक्ष पर क्या असर डालेगा? चलिए जानते हैं।

पितृ पक्ष (Pitru Paksha) और ग्रहण का दुर्लभ संयोग

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, साल 2025 में पितृ पक्ष के दौरान दो ग्रहण लगने वाले हैं।

7 सितंबर 2025: पितृ पक्ष की शुरुआत में चंद्र ग्रहण लगेगा।

21 सितंबर 2025: सर्वपितृ अमावस्या श्राद्ध यानी पितृ पक्ष के आखिरी दिन 21 सितंबर 2025 को सूर्य ग्रहण लगेगा।

एक ही पखवाड़े में दो ग्रहण का पड़ना एक बहुत ही दुर्लभ खगोलीय घटना है। इस संयोग के कारण यह पितृ पक्ष बहुत खास माना जा रहा है।

क्या ग्रहण के दौरान श्राद्ध और तर्पण करना शुभ है?

शास्त्रों में ग्रहण काल को अशुभ माना जाता है। क्योंकि इस दौरान शुभ कार्यों की मनाही होती है।

ग्रहण काल में पितृ कार्य कैसे करें?

आमतौर पर ग्रहण के दौरान शुभ कार्यों की मनाही होती है, लेकिन पितृ कार्य इससे अलग होते हैं।

चंद्र ग्रहण (7 सितंबर): चंद्र ग्रहण के दौरान सूतक काल में तो श्राद्ध नहीं किया जा सकता है। लेकिन इस दौरान पितरों के निमित्त दान देने और मंत्रों का जाप करने से विशेष लाभ मिलता है।

सूर्य ग्रहण (21 सितंबर): वहीं सूर्य ग्रहण के दौरान भी दान-पुण्य करना विशेष रूप से फलदायी होता है।

ग्रहण का क्या होगा असर?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ग्रहण का प्रभाव हर व्यक्ति और राशि पर अलग-अलग पड़ता है। पितृ पक्ष (Pitru Paksha) में पड़ने वाले इन ग्रहणों से कुछ राशियों को विशेष लाभ हो सकता है, जबकि कुछ को थोड़ा सतर्क रहना होगा। कुल मिलाकर, 2025 का पितृ पक्ष एक ऐतिहासिक और ज्योतिषीय दृष्टि से महत्वपूर्ण समय है। ग्रहण के इस महामेल को अशुभ नहीं, बल्कि पितरों को मोक्ष दिलाने वाला एक शक्तिशाली संयोग माना जा रहा है। इस दौरान किए गए श्राद्ध और तर्पण पितरों को सीधे शांति और मुक्ति प्रदान करेंगे।

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