नई दिल्ली। भारतीय-जनसंघ के श्लाका- स्थापना-आद्य एवम् प्रेरणा-पुरुष पण्डित दीनदयाल उपाध्याय के प्रपौत्र एवम् प्रख्यात न्यायविद् चन्द्रशेखर पण्डित भुवनेश्वर दयाल उपाध्याय (Chandrashekhar Upadhyay)ने आज दो मई 2025 को दोपहर दिल्ली में ‘न्यायिक भाषायी स्वतंत्रता’ हेतु चलाये जा रहे अपने देशव्यापी-अभियान ‘हिन्दी से न्याय’ के लिए भाजपा के शीर्ष नेता रहे संजयभाई जोशी से समर्थन मांगा।
बताते चलें हिन्दी माध्यम से एल-एल.एम. उत्तीर्ण करने वाले प्रथम भारतीय छात्र चन्द्रशेखर (Chandrashekhar Upadhyay)देश की सुप्रीमकोर्ट एवम् पच्चीस-हाईकोर्ट्स में हिन्दी एवम् अन्य भारतीय भाषाओं (संविधान की अष्टम अनुसूची में उल्लिखित 22 भाषाएं जिनकी लिपि उपलब्ध है) में सम्पूर्ण वाद-कार्यवाही सम्पादित कराये जाने एवम् निर्णय भी पारित किये जाने हेतु पिछले लगभग तीन-दशक से भी अधिक समय से चलाये जा रहे ‘हिन्दी से न्याय’ इस देशव्यापी-अभियान के नेतृत्व-पुरुष हैं संविधान के अनुच्छेद 348 में संशोधन करने की अपनी लगभग तीन-दशक पुरानी मांग को लेकर चन्द्रशेखर सभी राजनीतिक-दलों के शीर्ष-लोगों से मिलकर राष्ट्रीय- समर्थन जुटा रहे हैं
बताते चलें कि देश की सुप्रीमकोर्ट एवम् पच्चीस हाईकोर्टस में हिन्दी एवम् अन्य भारतीय भाषाओं (संविधान की अष्टम्-अनुसूची में उल्लिखित 22 भाषाएं,जिनकी लिपि उपलब्ध है) में समस्त कामकाज प्रारम्भ कराये जाने एवम् निण॔य भी पारित किये जाने हेतु हिन्दी माध्यम से एल-एल.एम. उत्तीर्ण करने वाले प्रथम भारतीय छात्र एवम् न्यायिक क्षेत्र के प्रतिष्ठित पुरस्कार ‘न्याय-मित्र'(जिसे वह चार वर्ष पहले लौटा चुके हैं) से पुरस्कृत न्यायाधीश प्रख्यात न्यायविद् चन्द्रशेखर पण्डित भुवनेश्वर दयाल उपाध्याय (Chandrashekhar Upadhyay)के कुशल नेतृत्व में ‘हिन्दी से न्याय’ यह देशव्यापी अभियान निरन्तर द्रुत-गति पकड़ रहा है।
सारे देश का भरपूर प्यार एवम् समर्थन अभियान को मिल रहा है। अभियान के सम्पूर्ण संगठनात्मक-ढ़ांचे के गठन के पश्चात रचनात्मक गतिविधियों के क्रम में पूरे देश-भर में पिछले लगभग ढाई दशक से हस्ताक्षर-अभियान चलाया जा रहा है, अभियान की 31 प्रान्तों की टीमें इस हेतु द्वार-द्वार गयी हैं समाज के शीर्ष से लेकर अन्तिम व्यक्ति तक अभियान की टीमों ने देश-भर में संवाद किया है ।
आगरा पहुंचे प्रख्यात न्यायविद चंद्रशेखर उपाध्याय, ‘हिंदी से न्याय’ अभियान के प्रांत प्रमुखों ने एक लाख से अधिक हस्ताक्षर सौंपें
‘एक-परिवार से एक ही हस्ताक्षर ‘ यह अभियान का संकल्प था, जो अभियान का ‘नारा’ बन गया अब तक देश ही नहीं परन्तु विदेशों से भी लगभग पौने दो करोड़ से अधिक हस्ताक्षर अभियान की टीमों को प्राप्त हुए हैं,एक परिवार में अमूमन चार या पाँच सदस्य होते हैं तो इस संख्या को चार-गुना किया जाय तो लगभग छह करोड़ से अधिक भारतवंशियों से अभियान की टीमों ने प्रत्यक्ष संवाद किया है, हस्ताक्षर-अभियान के शुभारम्भ में प्रत्येक भारतवंशी से आग्रह किया गया था कि वह मुहिम के समर्थन में कम से कम दस सहयोगियों-मित्रों-परिजनों के बीच विषय को ‘छेड़े’ और ‘छोड़े’ इस प्रकार देश के लगभग साठ-करोड़ लोग आज अभियान के साथ हैं।
अवगत होना चाहें कि शीर्ष-अदालतों में हिन्दी एवम् अन्य भारतीय भाषाओं की प्रतिष्ठा हेतु संविधान के अनुच्छेद 348 में संशोधन किया जाना है….विषय 16वीं तथा 17वीं लोकसभा में संसद के पटल पर आ चुका है, केन्द्र सरकार को इसमें संशोधन करना है, उससे पहले की स्थिति अभियान के नेतृत्व-पुरुष चन्द्रशेखर ने उत्तराखण्ड में लागू करा दी है।