Site icon 24 GhanteOnline | News in Hindi | Latest हिंदी न्यूज़

चंदा मामा से वापस आया चंद्रयान-3 का प्रोपल्शन मॉड्यूल, ISRO ने धरती की कक्षा में बुलाया

Propulsion Module

Propulsion Module

ISRO ने फिर से पूरी दुनिया को हैरान कर दिया है। उसने साबित कर दिया है कि वह अपने यान को वापस बुला सकता है। चांद के चारों तरफ चक्कर लगा रहे प्रोपल्शन मॉड्यूल (Propulsion Module) को वापस धरती की कक्षा में बुला लिया गया है। अब इसके अंदर लगे SHAPE पेलोड के जरिए धरती की स्टडी की जाएगी।

SHAPE यानी स्पेक्ट्रोपोलैरीमेट्री ऑफ हैबिटेबल प्लैनेट अर्थ। पहले योजना थी कि इस पेलोड को सिर्फ तीन महीने चलाया जाएगा। क्योंकि ये माना जा रहा था कि PM सिर्फ इतने ही दिन काम कर पाएगा। उसके बाद इसकी जिंदगी खत्म। लेकिन प्रोपल्शन मॉड्यूल ( Propulsion Module) में इतना फ्यूल है कि अभी वह सालों तक काम कर सकता है।

शेप के जरिए धरती की स्टडी करने के लिए प्रोपल्शन मॉड्यूल ( Propulsion Module) को धरती के नजदीक और उसकी सही ऑर्बिट में लाना था। तो फैसला हुआ उसे चांद की 100 किलोमीटर ऊंचाई वाली गोलाकार ऑर्बिट से वापस लाने का। इसके बाद 9 अक्टूबर 2023 को इसरो वैज्ञानिकों ने PM को अपनी ऑर्बिट बदलने का निर्देश दिया।

ऐसे बुलाया गया चांद से धरती की ओर प्रोपल्शन मॉड्यूल

प्रोपल्शन मॉड्यूल ( Propulsion Module) चांद के चारों तरफ आगे बढ़ा। उसने अपनी कक्षा 150×5112 km कर ली। पहले वह 100 km वाली ऑर्बिट में चांद के चारों तरफ एक चक्कर 2.1 घंटे में लगा रहा था। फिर यह 7.2 घंटे में लगाने लगा। इसके बाद वैज्ञानिकों ने PM में मौजूद फ्यूल की जांच की। इसके बाद 13 अक्टूबर को दूसरा ऑर्बिट बदलकर 1.8 lakh x 3.8 lakh किलोमीटर किया गया। इसे ट्रांस-अर्थइंजेक्शन (TEI) मैन्यूवर कहा जाता है।

CID फेम ‘फ्रेडरिक्स’ हार गए जिंदगी की जंग, 57 साल की उम्र में दुनिया को कहा अलविदा

इसके बाद 22 नवंबर इसके ऑर्बिट में सुधार किया गया। इसकी पेरिजी 1.15 लाख किलोमीटर की गई। जबकि एपोजी 3.8 लाख किलोमीटर ही है। अब वह ऐसी जगह से धरती पर नजर रख रहा है, जहां उसे किसी अन्य ग्रह, सैटेलाइट, उल्कापिंड या मेटियोर से खतरा नहीं है। अब प्लान के मुताबिक SHAPE पेलोड को धरती की तरफ घुमाया गया।

इस एक्सपेरिमेंट से ISRO को हुआ ये फायदा

SHAPE के जरिए 28 अक्टूबर 2023 को सूर्य ग्रहण के समय भी स्पेशल ऑपरेशन किया गया। शेप लगातार काम कर रहा है। इस एक्सपेरिमेंट से इसरो को चार तरह के फायदे हुए।

पहला– चांद से धरती की तरफ कोई यान वापस लाने के लिए प्लानिंग और एग्जीक्यूशन।
दूसरा- यान को इस तरह वापस लाने के लिए सही सॉफ्टवेयर मॉड्यूल बनाना।
तीसरा- किसी ग्रह के चारों तरफ ग्रैविटी का फायदा उठाते हुए ऑर्बिट बदलना।
चौथा- चांद की सतह पर PM को टकराने से बचाना। ताकि अंतरिक्ष में कचरा न फैले।

Exit mobile version