ISRO ने Chandrayaan-3 को चांद के चौथे ऑर्बिट में पहुंचा दिया है. अब चंद्रयान 150 km x 177 km वाली लगभग गोलाकार कक्षा में घूम रहा है. इसरो ने 14 अगस्त की सुबह करीब पौने बारह बजे Chandrayaan-3 के थ्रस्टर्स को ऑन किया था. इंजनों को करीब 18 मिनट के ऑन किया गया था.
5 अगस्त को Chandrayaan-3 चांद की पहली ऑर्बिट में पहुंचा था. उसके बाद अब तक इसकी दो बार ऑर्बिट बदली जा चुकी है. इसी दिन चंद्रयान ने चांद की पहली तस्वीरें जारी की थीं. उस समय चंद्रयान चांद के चारों तरफ 1900 km प्रति सेकेंड की गति से 164 x 18074 KM के अंडाकार ऑर्बिट में यात्रा कर रहा था. जिसे 6 अगस्त 2023 को घटाकर 170 x 4313 km की ऑर्बिट में डाला गया था. यानी उसे चंद्रमा की दूसरी कक्षा में डाला गया था.
इसके बाद 9 अगस्त को तीसरी बार ऑर्बिट बदली गई थी. तब यह चांद की सतह से 174 km x 1437 km की ऑर्बिट में घूम रहा था. चांद की ऑर्बिट में इसरो चंद्रयान-3 के इंजनों से रेट्रोफायरिंग करवा रहा है. यानी गति धीमी करने के लिए उलटी दिशा में यान को चला रहा है. इसके बाद 16 अगस्त की सुबह 8:38 बजे से 8:39 बजे के बीच पांचवीं कक्षा बदली जाएगी. यानी सिर्फ एक मिनट के लिए इसके इंजन ऑन किए जाएंगे.
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17 अगस्त को Chandrayaan-3 के प्रोपल्शन और लैंडर मॉड्यूल अलग होंगे. इसी दिन दोनों मॉड्यूल चंद्रमा के चारों तरफ 100 km x 100 km की गोलाकार ऑर्बिट में होंगे. 18 अगस्त की दोपहर पौने चार बजे से चार बजे के बीच लैंडर मॉड्यूल की डीऑर्बिटिंग होगी. यानी उसकी कक्षा की ऊंचाई में कमी लाई जाएगी.
20 अगस्त को Chandrayaan-3 के लैंडर मॉड्यूल की रात पौने दो बजे डीऑर्बिटिंग होगी. 23 अगस्त को लैंडर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास लैंड करेगा. सबकुछ सही रहेगा तो पौने छह बजे के करीब लैंडर चांद की सतह पर उतरेगा.
ISRO के बेंगलुरु में मौजूद सेंटर टेलिमेट्री, ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क (ISTRAC) के मिशन ऑपरेशंस कॉम्प्लेक्स (MOX) से लगातार Chandrayaan-3 की सेहत पर नजर रखी जा रही है. फिलहाल चंद्रयान-3 के सभी यंत्र सही तरीके से काम कर रहे हैं.