जयपुर। राजस्थान का सियासी संकट खत्म करने को लेकर अब कांग्रेस आलाकमान और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दोनों तरफ से कोशिश शुरू हो गई है। आलाकमान ने पिछले तीन दिन में सचिन पायलट और उनके विश्वस्तों से दो बार बात की है। वहीं पांच दिन पहले पायलट खेमे को लेकर आक्रामक रूख अपना रहे गहलोत अब कहने लगे हैं कि मैं तो कांग्रेस का अनुशासित सिपाही हूं, आलाकमान जैसा कहेगा वो मानूंगा। गहलोत यह भी कहते हैं कि यदि बागी वापस आते हैं तो मैं उन्हे गले लगा लूंगा।
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दरअसल, गहलोत खेमे में मौजूद विधायकों की बढ़ती बेरूखी और कोर्ट में फंसे बसपा विधायकों के मामले ने मुख्यमंत्री और पार्टी आलाकमान की चिंता बढ़ा दी है। इस कारण आलाकमान और गहलोत ने बागियों के प्रति अपना रूख नरम करते हुए उन्हे मनाने की कोशिश शुरू की है। वहीं पायलट खेमे के विधायक सोशल मीडिया पर लगातार बयान दे रहे हैं कि उनकी नाराजगी पार्टी से नहीं है, बल्कि सीएम गहलोत से है। पायलट खेमा सीएम बदलने से कम किसी समझौते को लेकर फिलहाल तैयार नहीं है। अब आगामी चार-पांच दिन गहलोत सरकार के लिए महत्वपूर्ण हैं, इन्ही दिनों में कांग्रेस की आंतरिक सियासत का कोई हल निकलने की उम्मीद है। इसी बीच कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अविनाश पांडे का कहना है कि बागियों की वापसी की कोई शर्त नहीं होती। सबसे पहले उन्हे आलाकमान से माफी मांगनी चाहिए।
गहलोत खेमे में पिछले 25 दिन से होटल में मौजूद तीन विधायकों ने सीएम और पार्टी आलाकमान की चिंता बढ़ा दी है। इनमें कांग्रेस विधायक दिव्या मदेरणा,दानिश अबरार व निर्दलीय बलजीत यादव शामिल है। जानकारी के अनुसार दिव्या मदेरणा पिछले तीन दिन से जैसलमेर में सूर्यगढ़ होटल के कमरे से बाहर नहीं निकल रही है । रक्षाबंधन के दिन जब सभी महिला विधायक सीएम गहलोत को राखी बांध रही थी तो दिव्या मदेरणा ने कमरे से बाहर निकलने से इंकार कर दिया था ।
दानिश अबरार भी पिछले दो-तीन दिन से नाखुश नजर आ रहे हैं। बकराईद के दिन जब सभी मुस्लिम विधायकों ने एक साथ नमाज अदा की तो दानिश अबरार अपने कमरे से बाहर नहीं निकले। वे भी अन्य विधायकों से दूरी बनाए हुए हैं । दानिश अबरार करीब 25 दिन पहले सचिन पायलट खेमे के साथ दिल्ली गए थे,लेकिन फिर बाद में गहलोत खेमे में वापस आ गए। लेकिन अब वे गहलोत खेमे में नाखुश बताए जाते हैं। इसी तरह निर्दलीय बलजीत यादव ने होटल में बंद रखने पर नाराजगी जताई है।
सूत्रों के अनुसार मंगलवार को तो वे अपना सामान लेकर बाहर निकलने लगे, जिन्हे बाद में अन्य विधायकों ने मनाया। गहलोत की चिंता बसपा के 6 विधायकों को अयोग्य ठहराने को लेकर लगी याचिका को लेकर है। भाजपा विधायक मदन दिलावर व बसपा महासचिव सतीश मिश्रा की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि बसपा एक राष्ट्रीय पार्टी है,इसका राज्य स्तर पर विलय नहीं हो सकता। इस कारण कांग्रेस में विलय करने वाले बसपा विधायकों को अयोग्य घोषित किया जाए। गहलोत की चिंता है कि यदि हाईकोर्ट का फैसला विधायकों के खिलाफ आ गया तो पहले से ही बहुमत के किनारे पर खड़ी सरकार को बचाना काफी मुश्किल हो जाएगा ।
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सीएम गहलोत खेमा
- विधानसभा अध्यक्ष सहित 100 विधायक ( कांग्रेस के 87 है । इनमें भी 6 बसपा से कांग्रेस में विलय करने वाले शामिल हैं । निर्दलीय 10, भारतीय ट्राइबल पार्टी के 2 व माकपा का 1 विधायक )
पायलट खेमा
- कांग्रेस के 19 और 3 निर्दलीय । कुल विधायकों की संख्या 22 भाजपा और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के कुल 75 विधायक है।