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रविवार को करें सूर्य देव के मंत्रों का जाप, मिलेगी यश-कीर्ति

Surya Dev

Surya Dev

हिंदू धर्म में रविवार को सूर्य देवता (Surya Dev) की पूजा की जाती है. सूर्य देव के भक्त रविवार को व्रत भी रखते हैं. उन्हें प्रसन्न करने के लिए प्रात: काल उठकर स्नान करते हैं, पूजा स्थल को साफ कर सूर्य देव की चालीसा, आरती और स्तुति का पाठ करते हैं. पंडित शक्ति जोशी से मिली जानकारी के मुताबिक सूर्य देव को नवग्रहों का राजा माना जाता है. साथ ही हिंदू धर्म से जुड़ी मान्यताओं के मुताबिक पंचदेवों में सूर्य देव का विशेष स्थान है.

पंडित जी ने बताया कि पौराणिक कथाओं में इस बात का जिक्र भी है कि श्रीकृष्ण के पुत्र सांब को कुष्ठ रोग से मुक्ति सूर्य देव की उपासना से ही मिली थी. सूर्य देव की नियमित पूजा- उपासना से बहुत लाभ मिलता है. कष्टों और रोगों को दूर करने के लिए भगवान रवि की अर्चना करें. ऐसा करने से आरोग्य का प्राप्ति भी होगी. आप कुछ प्रभावशाली मंत्रों व सूर्य देव की स्तुति से यश-कीर्ति प्राप्त करने के साथ-साथ सेहत को भी बेहतर बना सकते हैं.

सूर्य देव (Surya Dev) के चमत्कारी मंत्र

ॐ सूर्याय नम:।

ॐ भानवे नम:।

ॐ रवये नम:।

ॐ पूष्णे नम:।

ॐ मित्राय नम:।

ॐ आदित्याय नम:।

ॐ खगाय नम:।

ॐ हिरण्यगर्भाय नम:।

ॐ सावित्रे नम:।

ॐ मारीचाय नम:।

ॐ भास्कराय नम:।

ॐ अर्काय नम:।

आप चाहें तो रोज़ इन मंत्रों का जाप कर सकते हैं. अब पढ़िए सूर्य देव (Surya Dev ) का प्रार्थना मंत्र यानी इस मंत्र को उनकी उपासना करते समय पढ़ना चाहिए.

सूर्य प्रार्थना मंत्र

ग्रहाणामादिरादित्यो लोक लक्षण कारक:।

विषम स्थान संभूतां पीड़ां दहतु मे रवि।।

सूर्य देव (Surya Dev) के अन्य शक्तिशाली मंत्र

ॐ घृ‍णिं सूर्य्य: आदित्य:

ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः

ॐ घृणि सूर्याय नम:

ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ

सूर्य देव (Surya Dev ) की स्तुति

जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन

त्रिभुवन-तिमिर-निकन्दन, भक्त-हृदय-चन्दन।।

सप्त-अश्वरथ राजित, एक चक्रधारी

दु:खहारी, सुखकारी, मानस-मल-हारी

जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।

सुर-मुनि-भूसुर-वन्दित, विमल विभवशाली

अघ-दल-दलन दिवाकर, दिव्य किरण माली

जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।

सकल-सुकर्म-प्रसविता, सविता शुभकारी

विश्व-विलोचन मोचन, भव-बन्धन भारी

जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।

कमल-समूह विकासक, नाशक त्रय तापा

सेवत साहज हरत अति मनसिज-संतापा

जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।

नेत्र-व्याधि हर सुरवर, भू-पीड़ा-हारी

वृष्टि विमोचन संतत, परहित व्रतधारी

जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।

सूर्यदेव करुणाकर, अब करुणा कीजै

हर अज्ञान-मोह सब, तत्त्वज्ञान दीजै

जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।

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