गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) का पर्व हर साल भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन श्रद्धालु विघ्नहर्ता गणेश का स्वागत कर सुख-समृद्धि, ज्ञान और सौभाग्य की कामना करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि गणपति के कुछ विशेष मंत्रों का जप जीवन से सभी विघ्न-बाधाओं को दूर कर देता है। आइए जानते हैं वे 8 शक्तिशाली मंत्र, जिनका उच्चारण गणेश चतुर्थी पर अवश्य किया जाना चाहिए।
गणेश जी (Ganesh) के शक्तिशाली मंत्र
1- ॐ गं गणपतये नमः
यह गणेशजी का बीज मंत्र माना जाता है। हर नए कार्य की शुरुआत में इसका जप करने से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है और मार्ग की बाधाएँ स्वतः दूर हो जाती हैं।
2- वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभा, निर्विघ्नं कुरु मे देवा सर्वकार्येषु सर्वदा
गणेशजी के इस प्रसिद्ध श्लोक में उनसे प्रार्थना की जाती है कि वे हर कार्य को निर्बाध रूप से पूर्ण करें। विवाह, परीक्षा या व्यापार किसी भी शुभ अवसर पर इसका पाठ विशेष फलदायी होता है।
3- ॐ एकदन्ताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्तिः प्रचोदयात्
यह गणेश गायत्री मंत्र है। इसका जप करने से एकाग्रता, बुद्धि और स्मरण शक्ति बढ़ती है। विद्यार्थी और नए सीखने वालों के लिए यह बेहद लाभकारी है।
4- ॐ नमो सिद्धि विनायकाय सर्वकार्यकर्त्रे श्रीं ॐ स्वाहा
इस विस्तृत मंत्र में गणपति को सिद्धि-दाता और कार्यसिद्धि कराने वाला कहा गया है। माना जाता है कि इसका जप समृद्धि, सामाजिक मान-सम्मान और जीवन में तरक्की लाता है।
5- ॐ विज्ञानाशनाय नमः
गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है। इस छोटे और सरल मंत्र के नियमित जप से जीवन की बड़ी से बड़ी समस्या भी धीरे-धीरे समाप्त होती जाती है।
6- गणेश गायत्री मंत्र – तत्पुरुषाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंति: प्रचोदयात्
यह ध्यानमूलक मंत्र है। इसका जप करने से मन शांत होता है, आत्मबल बढ़ता है और साधक सही निर्णय लेने में सक्षम होता है।
7- लक्ष्मी-विनायक मंत्र – ॐ श्रीँ गं सौम्याय…
यह मंत्र गणेश और लक्ष्मी दोनों का आशीर्वाद दिलाता है। इसे खासकर आर्थिक उन्नति, नौकरी में सफलता और परिवार की खुशहाली के लिए जपा जाता है।
8- गणेश-कुबेर मंत्र – ॐ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा
यह विशेष रूप से धन और संपन्नता की प्राप्ति के लिए जपा जाता है। मान्यता है कि इससे आय के नए स्रोत खुलते हैं और घर-परिवार में स्थिरता आती है।
कैसे करें गणेश मंत्र का जाप?
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार मंत्र-जप से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनना चाहिए। गणेशजी की मूर्ति या तस्वीर के सामने आसन पर बैठकर एकाग्रचित होकर मंत्रों का उच्चारण करें। सर्वश्रेष्ठ परिणामों के लिए कम से कम 108 बार जप करने की परंपरा है।
माना जाता है कि गणेश चतुर्थी पर इन मंत्रों का जप न केवल श्रद्धा और भक्ति को गहरा करता है, बल्कि जीवन में सकारात्मकता और सफलता भी लाता है। घर या पंडाल में गणपति बिठाएँ, तो इन मंत्रों को अपने पूजा-पाठ का हिस्सा बनाना शुभ होता है।