सनातन धर्म ग्रंथों में एकादशी व्रत का विशेष उल्लेख किया गया है। हिंदू पंचांग के मुताबिक, एक साल में 24 एकादशी व्रत होते हैं। मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी (Mokshada Ekadashi) कहा जाता है। पौराणिक मान्यता है कि इस दिन पालनहार भगवान विष्णु जी पूजा-अर्चना और व्रत करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है। साथ ही बुरे कर्मों से भी मुक्ति मिलती है। पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, मोक्षदा एकादशी (Mokshada Ekadashi) व्रत पर भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए इन मंत्रों का 21 बार जाप करना चाहिए।
मोक्षदा एकादशी (Mokshada Ekadashi) के मंत्र
श्री विष्णु भगवते वासुदेवाय मंत्र
ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय॥
ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय
नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि।
तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
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शांता कारम भुजङ्ग शयनम पद्म नाभं सुरेशम।
विश्वाधारं गगनसद्र्श्यं मेघवर्णम शुभांगम।
लक्ष्मी कान्तं कमल नयनम योगिभिर्ध्यान नग्म्य्म।
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दन्ता भये चक्र दरो दधानं,
कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।
धृता ब्जया लिंगितमब्धि पुत्रया,
लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।
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ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।
ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।।
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विष्णु के पंचरूप मंत्र
ॐ अं वासुदेवाय नम:।।
ॐ आं संकर्षणाय नम:।।
ॐ अं प्रद्युम्नाय नम:।।
ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:।।
ॐ नारायणाय नम:।।
ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान।यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्टं च लभ्यते।।
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मोक्षदा एकादशी (Mokshada Ekadashi) का महत्व
मोक्षदा एकादशी (Mokshada Ekadashi) का विशेष पौराणिक महत्व है। भगवान श्रीकृष्ण ने जब महाभारत युद्ध के दौरान अर्जुन को गीता उपदेश दिया था, तब भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना के महत्व के बारे में बताया था। पौराणिक मान्यता है कि मोक्षदा एकादशी (Mokshada Ekadashi) व्रत की पूजा यदि विधि-विधान के साथ की जाती है तो भक्तों को सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।