कई बार लोग जाने अनजाने कुछ ऐसे काम कर देते हैं, जिससे उनकी कुंडली में पितृदोष उत्पन्न हो जाता है। कहते हैं जिन लोगों कुंडली में यह दोष होता है उसे जीवन में तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ता है। पितरों को प्रसन्न करने और पितृदोष से मुक्ति पाने लोग पिंडदान, श्राद्ध तथा तर्पण करते हैं, जिसके लिए पितृपक्ष और अमावस्या तिथि उत्तम मानी जाती है। इस बार अमावस्या तिथि शनिवार के दिन पड़ रही है। शनि अमावस्या (Shani Amavasya) के दिन शनिदेव की कृपा पाने के लिए सबसे शुभ दिन माना जाता है। इस तिथि पर पितरों और शनिदेव की पूजा करने के साथ कुछ विशेष मंत्रों का जाप करने से पितृदोष से मुक्ति पाई जा सकती है।
शनि अमावस्या (Shani Amavasya) तिथि
वैदिक पंचांक के अनुसार, बार चैत्र माह कि अमावस्या तिथि की शुरुआत 28 मार्च को शाम 7 बजकर 55 मिनट पर शुरू होगी वहीं तिथि का समापन अगले दिन यानी 28 मार्च को शाम 4 जबकर 27 मिनट पर होगा। ऐसे में चैत्र माह अमावस्या तिथि 29 मार्च को हैं। दिन साल का पहला चंद्र ग्रहण भी लगने वाला है। ऐसे में इस तिथि का महत्व और भी अधिक हो जाता है।
पितृदोष मुक्ति मंत्र
ॐ पितृभ्यः स्वधायिभ्यः स्वधा नमः।
ॐ श्राध्दाय स्वधा नमः
ॐ श्री सर्व पितृ देवताभ्यो नमो नमः
ॐ पितृभ्यः स्वधायिभ्यः पितृगणाय च नमः
ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं। भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।।
ॐ पितृदेवतायै च विद्महे जगत्पितृदेवतायै धीमहि। तन्नः पितरः प्रचोदयात्।।
पितृ गायत्री मंत्र
देवताभ्यः पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च । नमः स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नमः ।।
शनि अमावस्या (Shani Amavasya) का महत्व
धार्मिक मान्यता के अनुसार, शनिदोष और पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए शनि अमावस्या का दिन बहुत ही अच्छा माना जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान तथा दान करना शुभ फलदायी होता है। कहते हैं इस दिन सरसों के तेल में काले तिल डालकर चढानें से शनिदेव प्रसन्न होते हैं। इसके साथ ही काले रंग चीजों का दान करना भी अच्छा माना जाता है। वहीं इस मंत्रों का जाप करने से शनिदोष, पितृदोष तथा कालसर्पदोष से भी मुक्ति पाई जा सकती है।