शुक्रवार माता लक्ष्मी को समर्पित होता है। इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा-उपासना की जाती है। इसके साथ इस दिन शुक्र ग्रह की पूजा की जाती है। ज्योतिष शास्त्रों में लिखा है कि जिस व्यक्ति की कुंडली में शुक्र ग्रह का प्रभाव होता है। वह व्यक्ति जीवनभर सुखी रहता है।
हालांकि, इसके लिए अन्य भावों में शुभ ग्रह का उपस्थित होना बहुत जरूरी होता है। कई अवसरों पर शुक्र के कमजोर होने से व्यक्ति के जीवन में अस्थिरता आ जाती है। ऐसे में व्यक्ति को शुक्र की पूजा करनी चाहिए। इसके साथ शुक्र ग्रह शांति मंत्र का जाप करना चाहिए। आइए, मंत्र और उसके फायदे जानते हैं-
शुक्र शांति ग्रह मंत्र
हिमकुंद मृणालाभं दैत्यानां परमं गुरुम् । सर्वशास्त्र प्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम् ।।
इस मंत्र का अर्थ है- जो दैत्यों के परम गुरु है! जिसका स्वरूप बर्फ के चादर की तरह कांतिमय है। जो शास्त्रों के ज्ञाता हैं। ऐसे आचार्य गुरु को दंडवत प्रणाम करता हूं। आप चाहे तो पूजा के समय बुध शांति ग्रह मंत्र के साथ-साथ इस मंत्र का भी जाप कर सकते हैं। यह मंत्र भी बहुत ही प्रभावशाली है।
ॐ नमो अर्हते भगवते श्रीमते पुष्पदंत तीर्थंकराय। अजितयक्ष महाकालियक्षी सहिताय ॐ आं क्रों ह्रीं ह्र:।।
कब करें इस मंत्र का जाप
हर शुक्रवार को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान-ध्यान से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद अपने आराध्य देव को हाथ जोड़कर प्रणाम करें। फिर शुक्र को प्रणाम करें। इसके बाद कुछ समय के लिए ध्यान कर मंत्र का जाप करें। शुक्रवार के दिन कम से कम एक माला जरूर जाप करें।
शुक्र शांति ग्रह मंत्र के लाभ
- इस मंत्र के जाप से सभी प्रकार के हानिकारक तत्वों का नाश होता है।
- भगवान शिव ने शुक्राचार्य को संजीवनी मंत्र का वरदान है। अतः इस मंत्र के जाप से स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां दूर होती है।
- अगर कोई व्यक्ति शुक्र ग्रह शांति मंत्र का जाप रोजाना करता है तो उसके जीवन से सभी नकारात्मक गुण दूर हो जाते हैं।