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दीपक जलाते समय इस मंत्र का करें उच्चारण

diya

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हिन्दू धर्म में देवी और देवताओं को प्रसन्न करने के लिए दीपक (diya) जलाने का विधान है. दीपक (dia) सकारात्मक ऊर्जा (Positive Energy) का प्रतीक है. इसकी लौ हमेशा ऊपर उठती रहती है, जो प्रगति और उन्नति का प्रतीक है.

दीपक (diya) जिस प्रकार से अंधकार को दूर करता है, ठीक वैसे ही हम भगवान को दीपक प्रज्ज्वलित करते हैं, जिससे कि हमारे ​जीवन के अंधर व्याप्त बुराइयों, नकरात्मकता, दरिद्रता, रोग, कष्ट, पाप आदि का नाश हो. हम उससे मुक्त होकर सफल जीवन व्यतीत करें.

हिन्दू धर्म में हर मांगलिक कार्य के लिए मंत्र बनाया गया है, उसका भी अपना एक उद्देश्य है. आज हम आपको बता रहे हैं कि आपको दीपक जलाते समय कौन सा मंत्र पढ़ना चाहिए.

दीपक जलाने का मंत्र

शुभं करोति कल्याणम् आरोग्यम् धनसंपदा।

शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपकाय नमोस्तुते।।

दीपो ज्योति परंब्रह्म दीपो ज्योतिर्जनार्दन:।

दीपो हरतु मे पापं संध्यादीप नमोस्तुते।।

इस मंत्र का मूल यह है कि हमने जो दीपक जलाया है, उससे हमारा शुभ हो, कल्याण हो, हमें आरोग्य प्राप्त हो, रोगों का नाश हो. हमारी धन-संपदा में वृद्धि हो, उसका क्षय न हो. हमारे शत्रु जो दुर्भावना रखते हैं, उस बुद्धि का अंत हो, उनको सद्बुद्धि प्राप्त हो. परमब्रह्म स्वरुप यह दीपक हमारे पाप का नाश करे.

ज्योतिष में हर ग्रह और देवी-देवता के लिए अलग अलग प्रकार के दीपक जलाने की मान्यता है. दीपक में कौन सा तेल किस देवता के लिए रखना है और दीपक का प्रकार क्या होगा, सबका वर्णन है. हम एक मुखी, दो मुखी, तीन मुखी और चौमुखी दीपक जलाते हैं. सबके अपने मायने हैं.

तेल का ग्रहों से संबंध होता है, इसलिए देवताओं को विशेष तेल से दीपक जलाने को कहा जाता है. शनि देव को सरसों के तेल का दीपक जलाते हैं, तो हनुमान जी को चमेली के तेल का. मांगलिक कार्यों के लिए शुद्ध घी का दीपक.

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