पर्यटन स्थलों पर आदर्श गाइडलाइन का पालन न होने पर उत्तराखंड सरकार को डांट लगाते हुए उच्च न्यायालय ने चार धाम यात्रा पर अब 18 अगस्त तक के लिए रोक लगा दी।
कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए यह फैसला दिया गया है जबकि पिछले एक महीने से लगातार यह यात्रा सुर्खियों में इसलिए बनी हुई है क्योंकि उत्तराखंड सरकार इस यात्रा के आयोजन के पक्ष में रही और हाई कोर्ट के निर्देश को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक गई। दूसरी तरफ, चार धाम के ऑनलाइन दर्शनों को लेकर भी कोर्ट और सरकार आमने सामने हैं।
उत्तराखंड सरकार ने 28 जून को सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए चाहा था कि चार धाम यात्रा को मंज़ूरी दी जाए ताकि सरकार 1 जुलाई से इस यात्रा को उत्तरकाशी, चमोली और रुद्रप्रयाग ज़िलों के लोगों के लिए खोल सके। इस कवायद के बीच उत्तराखंड हाई कोर्ट ने 28 जुलाई तक के लिए चार धाम यात्रा पर रोक लगा दी थी। स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर उत्तराखंड सरकार की खराब तैयारियों को कारण मानते हुए कोर्ट इस यात्रा को शुरू करने के पक्ष में नहीं रहा।
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अब ताज़ा निर्देश जारी करते हुए और 20 दिनों के लिए इस रोक को बढ़ा दिया गया है। हालांकि कोर्ट इस पक्ष में रहा है कि चारों धामों से लाइव स्ट्रीमिंग के ज़रिये श्रद्धालुओं को दर्शन करवाए जाएं। लेकिन उत्तराखंड सरकार इस पक्ष में नहीं है। इस मामले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 17 जुलाई को कहा था, ‘वेदों में इस तरह का उल्लेख नहीं है इसलिए हमने सभी सुझावों के बाद लाइव स्ट्रीमिंग न करने का फैसला लिया है।’
गौरतलब है कि चार धाम देवस्थानम बोर्ड के एक अधिकारी ने यह भी कहा, ‘धार्मिक मान्यताओं और बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री से जुड़ी परंपराओं को ध्यान में रखते हुए बोर्ड ने एकमत से तय किया कि धामों के गर्भगृह से होने वाली विशेष पूजा आदि की लाइव स्ट्रीमिंग नहीं की जाए।’