धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को भगवान विष्णु क्षीर सागर में शयन के लिए चले जाते हैं। वहीं, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी का त्योहार मनाया जाता है। भगवान विष्णु के शयन से जागने तक के समय को चातुर्मास (Chaturmas) कहा जाता है। चातुर्मास के दौरान पूजा-पाठ विशेष मानी जाती है, लेकिन इस दौरान किसी भी तरह के शुभ या मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं।
इस दिन से शुरू हो रहा है चातुर्मास (Chaturmas)
इस बार चातुर्मास (Chaturmas) 17 जुलाई 2024, बुधवार से शुरू होगा। यह चातुर्मास चार महीने तक चलेगा और 12 नवंबर को कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की देवउठनी एकादशी की तिथि पर समाप्त होगा।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 16 जुलाई मंगलवार को रात 8 बजकर 33 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 17 जुलाई बुधवार को रात 9 बजकर 33 मिनट पर समाप्त होगी। .
चातुर्मास (Chaturmas) के दौरान न करें ये काम
– चातुर्मास (Chaturmas) के दौरान मांस, मछली, अंडे, प्याज और लहसुन जैसे तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए।
– इस दौरान शराब और किसी भी प्रकार के नशे से दूर रहने की सलाह दी जाती है।
– इस दौरान कोई भी शुभ या मांगलिक नहीं करना चाहिए, क्योंकि चातुर्मास के दौरान कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य करना वर्जित है।
ऐसा माना जाता है कि चातुर्मास के दौरान लंबी यात्राओं पर जाने से भी बचना चाहिए।
– चातुर्मास (Chaturmas) के दौरान जितना संभव हो सके, सात्विक भोजन ही करना चाहिए और ध्यान करना, धार्मिक ग्रंथों को पढ़ना और अधिकांश समय धार्मिक कार्यों में लगाना चाहिए।
– इस दौरान किसी भी जीव-जंतु पर अत्याचार या हिंसा नहीं करनी चाहिए, सभी के प्रति प्रेम भाव रखने का प्रयास करें।