हिंदू धर्म में छठ पर्व (Chhath Puja) का बहुत महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ पूजा का त्योहार मनाया जाता है। छठ पूजा को सूर्य षष्ठी, छठ पर्व, डाला छठ और छेत्री या डाला पूजा के नाम से भी जाना जाता है। यह हिंदू कैलेंडर के चैत्र और कार्तिक महीनों के दौरान साल में दो बार मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं अपने संतान की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए करीब 36 घंटे निर्जला व्रत रखती हैं। जानें छठ पूजा कब है और इससे जुड़ी अन्य खास बातें-
नहाय-खाए के साथ आरंभ होता है छठ पर्व (Chhath Puja) :
छठ व्रत कठिन व्रतों में से एक माना गया है। यह पर्व नहाय-खाय के साथ आरंभ होता है और व्रत का पारण सूर्य को अर्घ्य देने के साथ चौथे दिन समाप्त होता है।
कहां मनाया जाता है यह पर्व- इस पर्व को बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल आदि जगहों पर मनाया जाता है।
छठ पूजा (Chhath Puja) 2024 कब है-
षष्ठी तिथि 07 नवंबर 2024 को सुबह 12 बजकर 41 मिनट पर प्रारंभ होगी और 08 नवंबर को सुबह 12 बजकर 34 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार छठ पूजा 07 नवंबर 2024, गुरुवार को मनाई जाएगी।
छठ पूजा (Chhath Puja) कैलेंडर-
छठ पूजा पहला दिन: नहाय-खाय- 05 नवंबर 2024, मंगलवार
छठ पूजा का दूसरा दिन: खरना-06 नवंबर 2024, बुधवार
छठ पूजा का तीसरा दिन: संध्या अर्घ्य-07 नवंबर 2024, गुरुवार
छठ पूजा का चौथा दिन: उषा अर्घ्य- 08 नवंबर 2024, शुक्रवार
क्या होता है नहाय-खाय व खरना-
दिन 1: नहाय-खाय: छठ पूजा (Chhath Puja) के पहले दिन को नहाय-खाय कहा जाता है। इस दिन व्रती एक समय ही भोजन करते हैं।
दिन 2: खरना: छठ पूजा (Chhath Puja) के दूसरे दिन को खरना कहा जाता है। इस दिन छठी माता के लिए भक्त भोग बनाते हैं। शाम के समय मीठा भात और लौकी की खिचड़ी खाने खाने की परंपरा है।
दिन 3: संध्या अर्घ्य: भक्त शाम को सूर्य देवता को अर्घ्य देते हैं।
दिन 4: उषा अर्घ्य और पारण: सुबह में भक्त सूर्यदेव को अर्घ्य देते हैं और पारण का अनुष्ठान करते हैं।