छठ (Chhath Puja) के महापर्व में भगवान सूर्य को अर्घ्य देने की सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। अब 30 अक्टूबर यानी आज अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा निभाई जाएगी। कार्तिक शुक्ल षष्ठी के दिन व्रती महिलाएं उपवास रहती हैं और शाम नें किसी नदी या तालाब में खड़े होकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देती हैं।
अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के लिए सभी जरूरी चीजों की खरीदारी एक दिन पहले यानी खरना के दिन ही पूरी कर ली जाती है। अब शाम को डूबते सूर्य को अर्घ्य देते समय इन सभी चीजों का प्रयोग किया जाएगा।
कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी तिथि के दिन महिलाएं उपवास रखती हैं और संध्या काल में अस्त हो रहे सूर्य को अर्घ्य देती हैं। ये अर्घ्य पानी में दूध डालकर दिया जाता है। सूर्यास्त के समय व्रती महिला के साथ परिवार के अन्य सदस्य भी मौजूद रहते हैं।
इस दिन बांस से बनी टोकरी जिसे लोक भाषा में सूप कहा जाता है उसमें फल, ठेकुआ, गन्ना, नारियल, फूल, चावल के लड्डू, मूली, कंदमूल आदि रखकर पूजा की जाती है।
36 घंटे तक चलता है निर्जला व्रत
छठ का व्रत (Chhath Puja) रखने वाली महिलाएं खरना के प्रसाद के बाद कुछ नहीं खाती हैं। इसके बाद उन्हें 36 घंटे यह निर्जला व्रत रखना पड़ता है। इस बीच वो पानी, जूस, दूध या किसी अन्य चीज का भी सेवन नहीं करती हैं।
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छठ पर्व (Chhath Puja) के तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद चौथे दिन सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण किया जाता है और इसके बाद ही महिलाएं कुछ खा सकती हैं।
छठ पूजा 2022 संध्या अर्घ्य
छठ पूजा में आज सूर्यास्त के समय भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। ये अर्घ्य शाम 5 बजकर 34 मिनट पर दिया जाएगा। इसके बाद अगले दिन यानी 31 अक्टूबर की सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। इस दिन सूर्योदय 6 बजकर 27 मिनट पर होगा।