उत्तर प्रदेश में रविवार 13 जून को राजभवन में पद और गोपनीयता की शपथ लेने वाले जस्टिस संजय यादव इलाहाबाद हाईकोर्ट के 48वें चीफ जस्टिस बन गए हैं। लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बने संजय यादव का कार्यकाल सिर्फ 13 दिन का ही रहेगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट के अब तक के इतिहास में बने मुख्य न्यायाधीशों में संभवत: उनका कार्यकाल सबसे कम दिनों का रहेगा क्योंकि 25 जून को 62 वर्ष की आयु होने पर वे इस पद से रिटायर भी हो जायेंगे। इस तरह से महज 13 दिन के लिए उन्हें यूपी की गवर्नर आनन्दी बेन पटेल ने चीफ जस्टिस पद की शपथ दिलायी है। हालांकि हाईकोर्ट के 47वें चीफ जस्टिस गोविन्द माथुर के रिटायर होने के बाद 14 अप्रैल को उन्हें कार्यवाहक चीफ जस्टिस बनाया गया था।
चीफ जस्टिस संजय यादव की अगर बात करें तो उनका जन्म 26 जून 1959 को हुआ था, जबकि 25 अगस्त 1986 को वे अधिवक्ता के रुप में पंजीकृत हुए थे। उन्होंने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में सिविल, रेवेन्यू व संवैधानिक मामलों में वकालत की। वे मध्य प्रदेश के डिप्टी एडवोकेट जनरल के पद पर भी रहे। जिसके बाद दो मार्च 2007 को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में एडीशनल जज नियुक्त हुए। 15 जनवरी 2010 को वे स्थायी जज बने। इस दौरान दो बार मध्य प्रदेश के कार्यवाहक चीफ जस्टिस भी रहे। आठ जनवरी 2021 को वे मध्य प्रदेश हाईकोर्ट से तबादले के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट आये थे।
अगर बात इलाहाबाद हाईकोर्ट की स्थापना करें, तो ब्रिटिश संसद द्वारा सन् 1861 में पारित भारतीय उच्च न्यायालय अधिनियम द्वारा कलकत्ता, मद्रास और बंबई के सर्वोच्च न्यायालयों के स्थान पर उच्च न्यायालयों की स्थापना की गई। इसके साथ ही लेटर्स पेटेंट के द्वारा ब्रिटेन की महारानी के राज्य क्षेत्र में किसी ऐसे स्थल पर उच्च न्यायालय की स्थापना का प्रावधान भी किया गया, जहां पर किसी अन्य उच्च न्यायालय की अधिकारिता नहीं थी। सन् 1866 में पुरानी सदर दीवानी अदालत को हटा कर उसके स्थान पर 17 मार्च, 1866 के लेटर्स पेटेन्ट द्वारा उत्तरी-पश्चिमी प्रदेशों के लिये उच्च न्यायालय आगरा में अस्तित्व में लाया गया।
बैरिस्टर एट ला सर वाल्टर मार्गन और मिस्टर सिंपसन उत्तरी-पश्चिमी प्रदेशों के उच्च न्यायालय के प्रथम मुख्य न्यायाधीश और प्रथम रजिस्ट्रार नियुक्त किये गये। उत्तरी-पश्चिमी प्रदेशों के उच्च न्यायालय का स्थान सन् 1869 में आगरा से इलाहाबाद कर दिया गया, जबकि 11 मार्च, 1919 को जारी पूरक लेटर्स पेटेंट के द्वारा इसका नाम बदल कर इलाहाबाद उच्च न्यायालय यानि हाई कोर्ट आफ जुडीकेचर ऐट इलाहाबाद कर दिया गया। अवध न्यायिक आयुक्त के न्यायालय के स्थान पर लखनऊ के अवध मुख्य न्यायालय (चीफ कोर्ट) की स्थापना 2 नवंबर 1925 को हुई। इसकी स्थापना लेटर्स पेटेंट के द्वारा नहीं बल्कि भारत शासन अधिनियम 1919 (गवर्नमेंट आफ इंडिया एक्ट 1919) की धारा 80-ए (3) की शर्त के अनुसार गवर्नर जनरल की पूर्व सहमति से उ0प्र0 विधायिका द्वारा पारित अवध दीवानी न्यायालय अधिनियम (अधिनियम सं0 IV/ 1925) के लागू होने पर हुई।
देश की आजादी के बाद भारत के संविधान के लागू होने की तिथि 26 जनवरी 1950 यानि प्रथम गणतंत्र दिवस समारोह की पूर्व संध्या को इलाहाबाद उच्च न्यायालय को उत्तर प्रदेश के संपूर्ण क्षेत्र में अधिकारिता प्राप्त हो गयी। उत्तर प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2000 के द्वारा उत्तराखंड राज्य बना और उत्तराखंड उच्च न्यायालय 8 और 9 नवम्बर 2000 के बीच की मध्य रात्रि से अस्तित्व में आए। इस अधिनियम की धारा 35 के तहत उत्तराखंड राज्य के क्षेत्र में आने वाले 13 जिलों में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की अधिकारिता समाप्त हो गयी।
मौजूदा समय में इलाहाबाद हाईकोर्ट की प्रधानपीठ और लखनऊ बेंच में जजों के 160 पद स्वीकृत हैं। लेकिन प्रधानपीठ और लखनऊ को मिलाकर कुल 98 जज ही कार्यरत हैं। इसके साथ ही इलाहाबाद हाईकोर्ट पर मुकदमों का भी भारी भरकम बोझ है। हाईकोर्ट की वेबसाइट पर एक मई 2021 तक मौजूद जानकारी के मुताबिक हाईकोर्ट की प्रधानपीठ 788399 और लखनऊ बेंच 224316 को मिलाकर पेंडिंग मुकदमों की संख्या 10,12,715 हो गई है. हजारों याचिकाओं का कार्यालय में अंबार लगा है, जिन्हें अभी पंजीकृत किया जाना बाकी है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और उनका कार्यकाल
सर वाल्टर मॉर्गन, (1866-1871)
सर राबर्ट स्टुअर्ट, (1871-1884)
सर विलियम कोमेर पेथेरम, (1884-1886)
सर जॉन ऐज, (1886-1898)
सर लुईस एडीन केरशॉ, (1898)
सर अर्थुर स्ट्रेची , (1898-1901)
सर जॉन स्टेनली, (1901-1911)
सर हेनरी रिचर्डस (1911-1919)
सर ईडवर्ड ग्रिमवूड मीअर्स,(1919-1932)
सर साह मोहम्मद सुलेमान, (1932-1937)
सर जॉन गिब थॉम, (1937-1941)
सर इकबार अहमद, (1941-1946)
श्री कमलकान्त वर्मा, (1946-1947)
श्री विधू भूषण मलिक, (1947-1955)
सर ओ.एच. मूथम, (1955-1961)
श्री मनुलाल चुनीलाल देसाई, (1961-1966)
श्री वशिष्ठ भार्गव, (25-02-1966 – 07-08-1966)
श्री नसीरुल्लाह बेग, (1966-1967)
श्री विद्याधर गोविन्द ओक, (1967-1971)
श्री शशी कांत वर्मा, (1971-1973)
श्री धात्री सरन माथुर, (1973-1974)
श्री कुंवर बहादुर अस्थाना, (1974-1977)
श्री डी.एम. चन्द्रशेखर, (1977-1978)
श्री सतीश चन्द्रा, (1978-1983)
श्री महेश नारायण शुक्ला, (1983-1985)
श्री हृदय नाथ सेठ, (1986)
श्री कलमंजे जगन्नाथ सेट्टी, (1986-1987)
श्री द्वारका नाथ झा, (1987)
श्री अमिताव बनर्जी, (1987-1988)
श्री ब्रह्मा नाथ काटजू, (1988-1989)
श्री बी.पी.जीवन रेड्डी, (1990-1991)
श्री एम.के. मुखर्जी, (1991-1993)
श्री एस.एस. सोढ़ी, (1994-1995)
श्री ए.एल. राव, (1995-1996)
श्री डी.पी. मोहापात्रा, (1996-1998)
श्री एन.के.मित्रा,(1999-2000)
वर्ष 2000 से अब तक हुए चीफ जस्टिस
श्री श्यामल कुमार सेन, (08/05/2000-24/11/2002)
श्री तरुण चटर्जी, (31/01/2003-26/08/2004)
श्री अजोय नाथ रे, (11/01/2005-26/01/2007)
श्री हेमंत लक्ष्मण गोखले, (07/03/2007-08/03/2009)
श्री चन्द्रमौली कुमार प्रसाद (20/03/2009-07/02/2010)
श्री फरदीनो इनासिओ रिबेलो (26/06/2010-30/07/2011)
श्री सैयद रफत आलम (05/08/2011-07/08/2012)
श्री शिव कीर्ति सिंह (17/10/2012-18/09/2013)
डॉ धनंजय यशवंत चन्द्रचूड़ (31/10/2013-12/05/2016)
श्री दिलीप बाबा साहेब भोसले (30/07/2016-23/10/2018)
श्री गोविन्द माथुर (21/11/2017-13/04/2021)
श्री संजय यादव 13/06/2021 को शपथ ग्रहण किया है और 25 जून 2021 को रिटायर हो रहे हैं।