बच्चे इतना नादान होते हैं कि कई बार उनकी मासूमियत को समझ पाना भी मुश्किल होता है। हाल में एक नन्हें बच्चे ने स्कूल में कुछ ऐसा किया जो उसके टीचर्स की समझ से परे था। ऐसे में उन्होंने घबराकर उसके पैरेंट्स की इमरजेंसी मीटिंग के लिए बुलाया। दरअसल सारा मसला बच्चे की बनाई एक ड्रॉइिंग (Drawing) का था।
टीचर को मेरी ड्राइंग (Drawing) पसंद नहीं आई
फेसबुक पर किए गए एक पोस्ट में एक व्यक्ति ने बताया कि- हमारे 6 साल के बच्चे ने हमें स्कूल से लौटकर एक नोट दिया। इसमें लिखा था कि टीचर ने मुझे और मेरी पत्नी की तुरंत बुलाया है। मैंने बेटे से पूछा- कुछ मालूम है कि ये मीटिंग किस बारे में है? तो मेरे बेटे ने कहा कि टीचर को मेरी ड्राइंग पसंद नहीं आई। हम अगले दिन स्कूल पहुंचे तो टीचर ने हमें हमारे बेटे की ड्राइंग दिखाई और कहा- मैंने आपके बच्चे को फैमली फोटो बनाने के लिए कहा था और उसने ये बनाया है, जरा आप इसे समझाएंगे?
हमारे फैमली वैकेशन की ड्राइंग (Drawing) है, इसमें क्या समझाएं
पोस्ट में शख्स ने आगे लिखा- इसपर मेरी पत्नी ने कहा- इसमें क्या एक्सप्लेन करना है। ये तो हमारे फैमली वैकेशन की ड्राइंग है जब हम बहामास में स्नॉर्कलिंग (तैराकी का अभ्यास) के लिए गए थे। टीचर को तब जाकर तस्वीर ठीक से समझ आई।
पहली नजर में डरावनी लगती है ड्राइंग (Drawing)
दरअसल स्नॉर्कलिंग की ये तस्वीर एक झलक में देखने पर ऐसी लग रही है मानो परिवार के हर व्यक्ति के गले में फांसी का फंदा हो, जो कि काफी डिस्टर्बिंग और डरावनी है। इसीलिए टीचर ने घबराकर बच्चे के माता पिता को मीटिंग के लिए बुला लिया था। अब इस फेसबुक पोस्ट के कमेंट सेक्शन में पूरे किस्से को लेकर चर्चा छिड़ गई है।
एक शख्स ने कमेंट में लिखा कि- टीचर के ऐसे तेज एक्शन से जानें बचाई जा सकती है। एक अन्य ने लिखा- ये क्या बकवास है, एक ड्राइंग (Drawing) पर इतने ड्रामे की क्या जरूरत थी। एक यूजर ने लिखा- ये कैसी टीचर है, मासूम से बच्चे की मासूम से ड्राइंग पर इमरजेंसी मीटिंग की क्या जरूरत थी? बहुत से बच्चे ट्रॉमा में होते हैं लेकिन लगता है कि ये टीचर इस बच्चे को ठीक से जानती ही नहीं थी।
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हालांकि बच्चे की मां ने कहा कि भले टीचर ने बेकार में घबराकर गलती से हमें बुला लिया हो लेकिन Better safe than sorry (बाद में पछताने से अच्छा ही होता है सावधान रहना)। एक यूजर ने कहा- टीचर भी कमाल है। इसमें साफ दिख रहा है कि ये स्नॉर्कलिंग है। वहीं एक ने लिखा- इस टीचर ने बिल्कुल ठीक किया। इस तरह ट्रॉमा का शिकार बच्चों की समय रहते मदद की जा सकती है।